Home Life Style रवि पुष्य योग में अजा एकादशी व्रत, विधिपूर्वक करें पूजा और पढ़ें कथा, होंगे 3 बड़े फायदे

रवि पुष्य योग में अजा एकादशी व्रत, विधिपूर्वक करें पूजा और पढ़ें कथा, होंगे 3 बड़े फायदे

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हाइलाइट्स

अजा एकादशी व्रत रवि पुष्य योग में 10 सितंबर दिन रविवार को है.
इस दिन भगवान भगवान ऋषिकेष की पूजा करते हैं.
इस व्रत को करने से सभी पाप नष्ट होते हैं. व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य मिलता है.

इस साल अजा एकादशी व्रत रवि पुष्य योग में 10 सितंबर दिन रविवार को है. अजा एकादशी का व्रत भाद्रपद मा​स के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु या फिर भगवान ऋषिकेष की पूजा करते हैं और नियमपूर्वक व्रत करते हैं. धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से भाद्रपद कृष्ण एकादशी व्रत के महत्व और पूजा विधि के बारे में बताने का निवेदन किया. तब श्रीकृष्ण ने बताया कि यह अजा एकादशी के नाम से लोकप्रिय है. इस व्रत को करने से सभी पाप नष्ट होते हैं. व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य मिलता है. मृत्यु के बाद व्यक्ति को वैकुंठ में स्थान मिलता है. अजा एकादशी व्रत की कथा कुछ इस प्रकार से है—

अजा एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय एक चक्रवर्ती राजा हरिशचंद्र राज्य करता था. एक दिन उसने अपने राजपाट, धन, पुत्र, स्त्री सभी का त्याग कर दिया और स्वयं को बेच दिया. उसे एक चांडाल ने खरीद लिया. अब वह चांडाल का दास बन गया. वह चांडाल के आदेशानुसार मृतकों के वस्त्र लेता था, लेकिन उसने अपना सत्य धर्म नहीं छोड़ा. वह कभी भी सत्य के मार्ग से हटा नहीं.

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राजा जब अकेले होता था, तो वह सोचता था कि किस तरह से इस स्थिति से बाहर आ पाएगा. उसका उद्धार कैसे होगा. इसके लिए उसे क्या करना चाहिए. यह सब करते हुए राजा ने कई वर्ष व्यतीत कर दिए. एक दिन अचानक उसकी मुलाकात गौतम ऋषि से हुई. उसने प्रणाम किया और अपनी व्यथा सुनाई.

तब गौतम ऋषि ने कहा कि आज से 7 दिनों के बाद भाद्रपद मा​ह के कृष्ण पक्ष की अजा एकादशी आने वाली है. तुम विधिपूर्वक उस व्रत को करना. उस व्रत को करने से तुम्हारे सभी पाप नष्ट हो जाएंगे और तुम्हारे दुखों का अंत हो जाएगा. इतना बोलकर गौतम ऋषि वहां से चले गए.

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राजा हरिशचंद्र ने गौतम ऋषि के सुझाव पर अजा एकादशी व्रत विधिपूर्वक रखा और भगवान श्रीहरि की पूजा की. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से राजा हरिशचंद्र के समस्त पाप नष्ट हो गए, उनका मृत बेटा जीवित हो गया. उनकी पत्नी अपने पूर्ववत स्वरुप में आ गईं. वह रानी की तरह सजी हुई थीं. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से उनका राजपाट फिर से वापस मिल गया. अंत में राजा हरिशचंद्र अपने परिवार के साथ स्वर्ग चले गए.

भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि जो व्यक्ति अजा एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करता है, रात्रि जागरण करता है, उसके सभी पाप मिट जाते हैं और वह स्वर्ग प्राप्त करता है. जो व्यक्ति अजा एकादशी व्रत कथा सुनता है, उसे अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है.

Tags: Dharma Aastha, Lord vishnu



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