
गुलशन कश्यप/जमुई. बिहार-झारखंड की सीमा पर बसा जमुई जिला अलग-अलग मायनों में ऐतिहासिक है. यहां कई ऐसे स्थान हैं जिसका सीधा संबंध इतिहास से है, तो कई ऐसे मंदिर हैं जो विभिन्न काल के प्रतीक चिन्ह के रूप में जिले की ऐतिहासिक समृद्धि को बढ़ा रहे हैं. इन सबसे हटके जिले में खानपान का भी अपना एक अलग मिजाज है. कई ऐसी चीजें हैं जो पुराने समय से बनाई जा रही है और वह अपने उसी पुराने अंदाज और स्वाद के साथ लोगों के लिए उपलब्ध है. उन्हीं में से एक है खैरा बाजार में मिलने वाला खीरमोहन मिठाई. जो यहां की अपनी पहली मिठाई है.
हालांकि कई सारी मिठाइयां हैं जो पूर्व से बनाई जाती रही हैं पर उनमें से कई अब सामान्य रूप से बाजारों में नहीं मिलती है. कुछ लोग ऐसे भी हैं जो आज भी उस परिपाटी को बचाए हुए हैं. उन्हीं में से एक हैं खैरा बाजार के रहने वाले जनार्दन प्रसाद गुप्ता, जो पिछले 20 वर्षों से अधिक समय से स्वादिष्ट खीर मोहन मिठाई बनाते आ रहे हैं.
पहले बनती थी केवल यही मिठाई
जनार्दन प्रसाद गुप्ता ने बताया कि एक वक्त ऐसा था जब खैरा बाजार में केवल यही मिठाई बना करता था. उस वक्त कई सारी दुकानें थी, जिनमें एक मात्र मिठाई बनाई जाती थी. बदलते दौर में कई दुकानें और नए बाजार सामने आ गए और पुरानी मिठाइयों का दौर धीरे-धीरे समाप्त हो गया. जनार्दन गुप्ता की दुकान जिले भर में केवल एकमात्र ऐसी मिठाई दुकान है, जहां इतने लंबे समय से यह मिठाई बनती आ रही है.
लिमिटेड बनाई जाती है खीरमोहन मिठाई
गौरतलब है कि अब जिले में अलग-अलग दुकानों में भी खीरमोहन बनाया बनने लगा है. लेकिन लोग जनार्दन प्रसाद गुप्ता दुकान की खीर मोहन दूर-दराज से खाने आते हैं. यह मिठाई काफी कम बनाई जाती है, जिस कारण लोग सुबह से लेकर शाम तक इसका इंतजार करते हैं. जनार्दन प्रसाद गुप्ता अपनी पत्नी के साथ पिछले 20 वर्षों से दुकान चला रहे हैं. हर सुबह उठकर दूध तैयार करते हैं और उससे मिठाई बनाना शुरू करते हैं. सुबह से लेकर शाम तक मेहनत करने के बाद यह उसे तैयार करते हैं. शाम के वक्त लोग इनकी मिठाई लेने आते हैं. कई बार लोगों को इंतजार भी करना पड़ता है. रोजाना 200 पीस की बिक्री हो जाती है. खीरमोहन 10 रुपये पीस और 200 रुपए प्रति किलो बेचते हैं.
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FIRST PUBLISHED : July 15, 2023, 09:45 IST