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राजनीति में भतीजे! सियासत की जंग में बेटे-बेटियों पर भारी, अजित पवार ही नहीं लंबी है फेहरिस्त

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राजनीति में भतीजे! सियासत की जंग में बेटे-बेटियों पर भारी, अजित पवार ही नहीं लंबी है फेहरिस्त

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इन दिनों आप अजित पवार के नाम की खबरें आप खूब पढ़ रहे होंगे. मीडिया में छाए अजित पवार मौजूदा वक्त में महाराष्ट्र सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं. कल तक वह इसी महाराष्ट्र की विधानसभा में विपक्ष के नेता थे. बतौर राजनेता उनकी एक खास पहचान जरूर है, लेकिन उससे भी कहीं बड़ी एक और पहचान है. अजित दिग्गज राजनेता शरद पवार के भतीजे हैं. शरद पवार, वह शख्स जो करीब पांच दशक से महाराष्ट्र की राजनीति के केंद्र में है. मगर आज शरद पवार, अपने ही भतीजे अजित पवार से मात खा चुके हैं. जूनियर पवार ने सीनियर पवार को उनकी ही राजनीतिक शैली से जो चोट पहुंचाई है, वह भारतीय राजनीति में विरले ही देखने को मिलती है.

दरअसल, भारतीय राजनीति में वंशवाद हमेशा से प्रभावी रहा है. आमतौर पर इस वंशवाद में किसी सियासी व्यक्ति की राजनीतिक विरासत उनके बेटे-बेटियां संभालती हैं. लेकिन, आज की यह कहानी उन सियासी परिवारों की है, जहां बेटे-बेटियों की जगह उस शख्स के भतीजों ने विरासत संभाली या हासिल कर ली या फिर अपने ही चाचा-बुआ को मात देकर उनसे बड़ी लकीर खींचने की कोशिश की है.

इस कड़ी में सबसे पहला नाम राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार का ही आता है. ताजा सियासी अपडेट के मुताबिक अजित पवार ने चाचा शरद पवार को मात देकर एनसीपी तोड़ दी है. महाराष्ट्र के वर्तमान सियासी समीकरण को देखें, तो अजित पवार चाचा शरद पवार को मात देते दिख रहे हैं.

बाल ठाकरे और राज ठाकरे
दूसरा बड़ा नाम भी महाराष्ट्र से ही आता है. अपने समय में चाचा-भतीजे की जुगलबंदी का सबसे नामी उदाहरण बाल ठाकरे और राज ठाकरे का रहा है. शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के जमाने में उनके भतीजे राज ठाकरे को उनका स्वाभाविक राजनीतिक उतराधिकारी माना जाता था. राज ठाकरे का पार्टी संगठन पर गहरा प्रभाव भी था. लेकिन, बाल ठाकरे ने जब अपने बेटे उद्धव ठाकरे को उत्तराधिकारी घोषित किया तो राज ठाकरे ने बगावत कर दी. ठाकरे परिवार की यह कहानी लंबी है, मगर बात राज ठाकरे की करें तो प्रभावी नेता होने के बावजूद वे बाद के दिनों में अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाए. अलबत्ता यह जरूर हुआ कि बाल ठाकरे की शिवसेना, राज ठाकरे के बगैर कमजोर हो गई.

चाचा या बुआ भतीजे की इस कहानी में तीसरा अहम नाम आता है पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके भाई के बेटे अभिषेक बनर्जी का. ‘दीदी’ ने अभिषेक बनर्जी को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर रखा है. अभिषेक पश्चिम बंगाल और देश की राजनीति में अहम भूमिका निभा रहे हैं. वह तृणमूल कांग्रेस के सभी अहम फैसले में भागीदार रहते हैं. साथ ही विपक्षी दलों के निशाने पर भी!

एक बार फिर महाराष्ट्र की ओर रुख करते हैं. महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा के कद्दावर नेता रहे गोपीनाथ मुंडे के भतीजे धनंजय मुंडे भी चर्चा में हैं. गोपीनाथ के समय में धनंजय अपने चाचा के साथ साये की तरह रहते थे. वह इस वक्त एनसीपी के विधायक हैं और अजित पवार के साथ भाजपा सरकार को समर्थन देने वाले गुट में शामिल हैं. धनंजय ने भी बीते दिनों अजित पवार के साथ मंत्री पद की शपथ ली है.

मायावती और आकाश आनंद
चाचा-भतीजे की इस कहानी से राजनीतिक रूप से सबसे अहम राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार भी अछूता नहीं है. बिहार की राजनीति में लोजपा के भीतर चाचा-भतीजे के बीच संग्राम छिड़ा हुआ है. लोजपा प्रमुख रहे रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी पार्टी टूट गई. उनके भाई पशुपतिनाथ पारस ने खुद को रामविलास का उत्तराधिकारी बता दिया. वहीं, दूसरी तरफ रामविलास के बेटे चिराग पासवान की दावेदारी अलग रही. हालांकि चिराग अभी अपनी सियासी जमीन की तलाश में जी-जान से जुटे हैं. यहां भी चाचा-भतीजे के बीच राजनीतिक विरासत संभालने को लेकर विवाद चल रहा है.

अब आते हैं उत्तर प्रदेश पर. राजनीतिक रूप से सबसे संवेदनशील राज्य उत्तर प्रदेश में चाचा-भतीजे और बुआ-भतीजे की दो कहानियां हैं. एक तरफ दिवंगत मुलायम सिंह यादव के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हैं, तो दूसरी तरफ उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव. इन दोनों के बीच सियासी उत्तराधिकार की लड़ाई जग जाहिर है. एक और कहानी राज्य की चार बार मुख्यमंत्री रहीं बसपा प्रमुख मायावती की है. अघोषित तौर पर मायावती के भाई के बेटे आकाश आनंद को उनका उत्तराधिकारी माना जाता रहा है. हालांकि वह पर्दे के पीछे रहकर राजनीति करते दिखाई पड़ते हैं.

नवीन पटनायक और अरुण पटनायक
चाचा-भतीजे की यह कहानी यहीं नहीं थमती. देश के पूर्व तटीय राज्यों में से एक ओडिशा में भी एक भतीजे की चर्चा खूब होती है. वह शख्स सत्ताधारी दल बीजू जनता दल से है. राज्य के मुख्यमंत्री और बीजद के अध्यक्ष नवीन पटनायक देश में सौम्य राजनीति के पुरोधा माने जाते हैं. वे लंबे समय से राज्य के मुख्यमंत्री हैं. दिग्गज समाजवादी नेता रहे बीजू पटनायक के बेटे हैं. अब नवीन पटनायक के राजनीतिक उत्तराधिकारी की बात होने लगी है. ऐसे में उनके भाई के बेटे अरुण पटनायक का नाम सबसे आगे है.

Tags: Ajit Pawar, Mayawati, NCP, Sharad pawar

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