Thursday, December 19, 2024
Google search engine
HomeLife Styleराजपाल एंड संस पर दिव्या विजय, सुधीर और इरा टाक की पुस्तकों...

राजपाल एंड संस पर दिव्या विजय, सुधीर और इरा टाक की पुस्तकों पर चर्चा


नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेला में हिंदी साहित्य की दुनिया के चर्चित प्रकाशन संस्थान राजपाल एंड संस मेला में चर्चा का विषय बना हुआ है. यहां दिग्गज देश-विदेश के दिग्गज रचनाकारों का जमावड़ा लगा हुआ है. पुस्तक मेला में राजपाल के स्टॉल पर प्रतिदिन जहां कई पुस्तकों का लोकार्पण हो रहा है, वहीं साहित्यिक विषयों पर गर्मागर्म चर्चा भी हो रही है.

राजपाल एंड संस की प्रमुख मीरा जौहरी ने बताया कि उनके यहां ऐसी कई साहित्यिक चर्चाएं हुई हैं जिनमें पाकिस्तान सहित कई अन्य देशों के रचनाकार और पत्रकारों ने शिरकत की है. पुस्तक मेला के बारे में उन्होंने बताया कि पाठकों का रुझान अच्छा देखने को मिल रहा है, लेकिन पिछले वर्ष की तुलना में इस बार कुछ कम भीड़ है.

‘दराजों में बंद जिंदगी’ का लोकार्पण
राजपाल एंड संस के स्टॉल पर लेखिका दिव्या विजय की डायरी ‘दराजों में बंद जिंदगी’ का लोकार्पण किया गया. कार्यक्रम में सुपरिचित कवि और कथाकार प्रियदर्शन ने कहा कि डायरी लेखन एक ऐसी विधा है जिससे हमें इतिहास, भूगोल, दर्शन का बोध होता है. कथाकार प्रत्यक्षा ने कहा कि ‘दराजों में बंद जिंदगी’ पढ़ते समय ऐसा लग रहा था जैसे मन की कील पर घटनाओं को टाँग दिया हो. कार्यक्रम में युवा लेखक आलोक रंजन, राजस्थान के कथाकार जी. सी. बागड़ी और राजपाल एंड संस की प्रमुख मीरा जौहरी ने भी पुस्तक पर अपने विचार व्यक्त किए.

‘बिदाय दे मा’ पुस्तक पर परिचर्चा
एक अन्य कार्यक्रम में लेखक सुधीर विद्यार्थी की कृति ‘बिदाय दे मा’ का लोकार्पण किया गया और पुस्तक पर परिचर्चा आयोजित की गई. इस मौके पर लेखक अशोक कुमार पांडेय ने कहा कि भगत सिंह के साथ साथ एक पूरी पीढ़ी आजादी के आंदोलनों में लगी थी लेकिन इतिहास में उसका उल्लेख नहीं हो सका. क्रांतिकारियों को फाँसी हो जाने के बाद उनकी माँओं व परिवारों की स्थिति का वर्णन हमें नहीं मिलता जबकि सभी क्रांतिकारी सामान्य परिवारों से आते हैं. उन्होंने कहा कि यह पुस्तक इतिहास के उन खाली पृष्ठों को पूरा करती है. युवा आलोचक पल्लव ने कहा कि भगत सिंह तथा अन्य क्रांतिकारियों की माँओं और उनके परिवार की स्थिति पर यह पहली किताब है. प्रकाशक मीरा जौहरी ने बताया कि भगत सिंह तथा अन्य क्रांतिकारियों के व्यक्तित्व निर्माण में उनकी मांओं का महत्त्वपूर्ण योगदान है और इस पुस्तक में ऐसी बारह क्रांतिकारी मांओं पर अध्याय हैं. राजपाल एंड संस की ओर से सुभाष चंद्र ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया.

Tags: Books, Hindi Literature, Hindi Writer, Literature



Source link

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments