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सर्व मंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते। दतिया मां पीतांबरा। मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा के मंदिर में दर्शन करने के लिए देश भर से श्रद्धालु पहुंचते हैं. यह पीठ राज्य के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक है, जहां देशभर से भक्त पहुंचते हैं. पीतांबरा देवी को शत्रुओं का नाश करने वाली और राजसत्ता की देवी माना जाता है. राजसत्ता की कामना रखने वाले भक्त उनकी आराधना करते हैं. पीताम्बरा पीठ को मां बगलामुखी के रूप में भी जाना जाता है. आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे खास महत्व…
इस तरह पीताम्बरा पीठ की कहानी हुई शुरू
मां बगलामुखी के दिव्य मंदिर को दतिया पीठ के नाम से भी जाना जाता है. यह देश के प्रसिद्ध शक्ति पीठों में से एक माना जाता है. वाणखंडेश्वर जैसे मंदिरों के साथ, यह स्थल भारत के सबसे पुराने आध्यात्मिक केंद्रों में से एक माना जाता है. पीताम्बरा पीठ की कहानी साल 1929 में शुरू हुई जब ब्रह्मलीन पूज्यपाद राष्ट्रगुरु अनंत श्री विभूषित स्वामीजी महाराज एक रात के लिए दतिया में रुके. उस समय, यह संस्कृत के उत्कृष्ट विद्वानों का केंद्र था, जो अपनी आध्यात्मिक अनुशासन की चमक दिखा रहे थे. उनकी समर्पण से प्रभावित होकर, युवा संन्यासी ने वहां रहने और पांच साल तक तपस्या करने का निर्णय लिया. अपनी तपस्या पूरी करने के बाद, स्वामीजी ने इस शांतिपूर्ण शहर दतिया में इस मंदिर की स्थापना की. जिस स्थान पर उन्होंने ध्यान किया, उसे माई का मंदिर कहा जाता है और आश्रम को श्री पीताम्बरा पीठ के नाम से जाना जाता है.
मां के साथ काल भैरव भी मौजूद
मंदिर के आध्यात्मिक महत्व के अलावा, यह अपनी वास्तुकला की सुंदरता के लिए भी जाना जाता है. इस स्थल में कई मंदिर शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना अनूठा डिजाइन और इतिहास है. पीतांबर पीठ में मां बगलामुखी और धूमावती देवी की प्रतिमाएं स्थापित हैं. साथ ही माता के साथ यहां हनुमानजी, काल भैरव, परशुराम और अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं. मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है, जो राजपूत और मराठा शैलियों का मिश्रण है. मंदिर के परिसर में संस्कृत की पुस्तकालय भी है, जहां साधु-संत गुप्त मंत्र से संबंधित किताबें पढ़ते हैं.
श्री पीताम्बरा पीठ दतिया में मां बगलामुखी
मां बगलामुखी श्री पीताम्बरा पीठ में पूजी जाने वाली महत्वपूर्ण देवियों में से एक हैं. वह दिव्य स्त्रीत्व का अवतार हैं और माना जाता है कि उनके पास बाधाओं और शत्रुओं को दूर करने की शक्ति है. इस स्थल के बारे में अधिक जानकारी बगलामुखी रहस्यम नामक पुस्तक से भी प्राप्त की जा सकती है, जो महाविद्या साधना के गुणों को स्पष्ट करती है और भक्तों को आत्मज्ञान की ओर मार्गदर्शन करती है.
धूमावती मंदिर के बारे में
जहां अन्य सभी देवियों के रूप संसारिक सुख और मोक्ष प्रदान करते हैं, देवी श्री धूमावती को संसारिक संबंधों से मुक्त करने और मोक्ष के मार्ग पर ले जाने के लिए जाना जाता है. मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला, विशेष रूप से जटिल नक्काशी और सुंदर मूर्तियों के लिए जाना जाता है और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है. देश में देवी धूमावती के बहुत कम मंदिर हैं और कथाओं के अनुसार इस मंदिर का इतिहास भारत-चीन युद्ध से जुड़ा है. माना जाता है कि स्वामी जी ने इस मंदिर की स्थापना भारत की जीत सुनिश्चित करने के लिए की थी.
नेताओ ने करवाई है गुप्त पूजा
पीतांबरा देवी को राजसत्ता की देवी माना जाता है. इस वजह से यहां नेताओं का आना जाना लगा रहता है. यहां कई बड़े बड़े नेताओ ने संकट के समय में यज्ञ भी करवाया है. यहां कई बड़े बड़े नेता आकर माता के दर्शन और गुप्त पूजा भी कर चुके हैं. इस सिद्ध पीठ में राजनीति में सफलता की कामना के साथ पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, राजीव गांधी, वसुंधरा राजे सिंधिया, योगी आदित्यनाथ, अमित शाह, राहुल गांधी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत तमाम राजनीतिक गण माता का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंच चुके हैं. मान्यता है कि यहां दर्शन करने से मनोकामना पूरी होती है और राजसत्ता का सुख मिलता है.
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