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राजस्थान: गहलोत सरकार के राहत शिविर पर संकट, राजस्व अधिकारियों-कर्मचारियों ने किया बहिष्कार का ऐलान

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राजस्थान: गहलोत सरकार के राहत शिविर पर संकट, राजस्व अधिकारियों-कर्मचारियों ने किया बहिष्कार का ऐलान

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हाइलाइट्स

गहलोत सरकार राहत शिविर
राजस्थान राजस्व सेवा परिषद का ऐलान
24 अप्रेल से 30 जून 2023 तक चलने हैं शिविर

जयपुर. राजस्थान सरकार सोमवार से फ्लैगशिप योजनाओं (Flagship Schemes) का सीधा लाभ आमजन तक पहुंचाने के लिए जनता के बीच दरबार लगाने की घोषणा कर चुकी है. लेकिन राज्य सरकार के ‘प्रशासन शहरों-गांवों के संग’ अभियान को अमली जामा पहनाने वाले राजस्व कर्मचारी और अधिकारी नाराज हो गए हैं. उनकी नाराजगी से सरकार का यह महाअभियान पंक्चर हो सकता है. राजस्थान राजस्व सेवा परिषद ने सरकार के मेगा राहत शिविरों का पूरी तरह से बहिष्कार करने की घोषणा की है.

चुनावी साल में राज्य सरकार की ओर से बजट भाषण में की गई घोषणाओं का सीधा लाभ जनता तक पहुंचाने के लिए 24 अप्रेल से मेगा राहत शिविरों का आयोजन किया जा रहा है. राजस्व मंत्री इस मेगा शिविर की तैयारियों को लेकर पूरा ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है. प्रदेशभर में जिला स्तर पर इसकी पूरी तैयारियां की जा चुकी हैं. इन राहत शिविरों में राज्य सरकार की घोषणा के अनुसार 500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने और किसानों को 2000 यूनिट बिजली की राहत देने के साथ साथ राजस्व विभाग के सभी समस्याओं का निपटारा करने का दावा किया जा रहा है. सरकार का यह महामिशन 24 अप्रेल से 30 जून 2023 तक चलना है. अभियान में 23 विभागों की सहभागिता निर्धारित की गई है.

आपके शहर से (जयपुर)

मंत्री बोले नाराजगी को दूर करने के प्रयास किए जाएंगे
वहीं राजस्थान राजस्व सेवा परिषद के प्रदेश अध्यक्ष सुरेशपाल सिंह चौहान ने बताया राजस्व विभाग से जुड़े इन सभी कार्यों को करने से राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने साफ इंकार कर दिया है. राजस्थान के राजस्व विभाग के बीस हजार से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी 24 अप्रेल से कार्य बहिष्कार कर रहे हैं. राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने कहा है की राजस्व विभाग के कर्मचारियों की मांगों पर सरकार सकारात्मक तरीके से मंथन कर रही है. कर्मचारियों और अधिकारियों की अधिकांश मांगों को मान लिया गया है. शेष मांगों पर जल्द ही कर्मचारी संगठनों के साथ बैठकर वार्ता की जाएगी. उनकी नाराजगी को दूर करने के प्रयास किए जाएंगे.

सरकार कई बार लिखित समझौता कर चुकी है
राजस्थान राजस्व सेवा परिषद का कहना है कि चार साल निकल गए. राज्य सरकार कई बार लिखित समझौता कर चुकी है. लेकिन अभी तक समझौते की शर्तों की पालना नहीं किया गया है. अक्टूबर 2021 में सीएमआर में सीएम की मौजूदगी में हुए समझौते को भी विभाग के आला अधिकारियों ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है. राजस्व सेवा परिषद की मांग है की नायब तहसीलदार के शत प्रतिशत पदों पर पदोन्नति से ही नियुक्ति की जाए. सीधी भर्ती के आरटीएस को सीधे तहसीलदार पद पर नियुक्त किया जाए.

राजस्व कर्मचारियों और अधिकारियों की ये हैं मांगें
पटवारी, भू-अभिलेख निरीक्षक, नायब तहसीलदार एवं तहसीलदार कै कैडर पुनर्गठन कर नए पदों का सृजन किया जाना जरूरी है. परिषद ने भू-अभिलेख निरीक्षक और पटवारियों के पदों का फील्ड में अनुपात 1:3 में करने की मांग की है. परिषद ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा कैडर का रिव्यू कर तहसीलदार की डीपीसी कर आरएएस पदों पर नियुक्त करना, पटवारी, भू-अभिलेख निरीक्षक के लिए स्थाई स्पष्ट ट्रांसफर पॉलिसी बनाने के साथ ही पटवारी भू-अभिलेख निरीक्षक, नायब तहसीलदार और तहसीलदार का वेतनमान पुनर्निधारण करने की मांग की है.

समझौते की शर्तों की पालना नहीं करने से हैं नाराज
राजस्थान पटवारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह कविया ने कहा है की चार साल बाद भी लिखित समझौते की शर्तों की पालना नहीं करने पर राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने राहत मेगा शिविरों के साथ साथ राजस्व विभाग से जुड़े जनता के 40 प्रकार से ज्यादा दैनिक कार्यों का भी पूरी तरह से बहिष्कार करने का ऐलान किया है. बहरहाल चुनावी साल में जनता से किए गए लोक-लुभावने वादों को पूरा करने के लिए सरकार वोट बैंक को साधने की कोशिश में जुट गई है. वहीं समझौता पत्र की शर्तों का पालना के लिए लंबे अर्से से सरकार से गुहार लगाने वाले राजस्व विभाग के कर्मचारी भी अब सरकार के विरोध में खड़े हो गए हैं.

Tags: Ashok Gehlot Government, Jaipur news, Rajasthan news, Revenue Department

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