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Nagaur Rajasthan Famous Tourist Place: राजस्थान का नागौर जिला धरोहर की दृष्टि से ऐतिहासिक जिला माना जाता है. यहां पर सांस्कृतिक और स्थापत्य धरोहर का भी गठजोड़ देखा जाता है. नागौर क्षेत्र प्राचीन काल से ही ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करता आ रहा है. यहां घूमने के लिए दर्जनों ऐतिहासिक स्थल हैं. आज हम पांच ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां हर वर्ष हजारों पर्यटक घूमने के लिए आते हैं.

नागौर का ऐतिहासिक किला, जिसे अहिछत्रगढ़ के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान की सबसे पुरानी और महत्त्वपूर्ण स्थापत्य धरोहरों में से एक है. इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में नाग वंश के शासकों द्वारा करवाया गया था, और बाद में इसे मुगलों तथा राठौरों द्वारा कई बार पुनर्निर्मित किया गया. किले में स्थित राजमहल, शाही कक्ष, और पानी संचयन की व्यवस्था उस समय की उन्नत तकनीक को दर्शाती है. यूनेस्को की सहायता से इसका संरक्षण भी किया गया है. यहां नागौर महोत्सव का भी आयोजन होता है.

नागौर जिले में स्थित मीराबाई मंदिर भक्तिकालीन संत और कृष्णभक्त मीराबाई को समर्पित एक अत्यंत श्रद्धेय स्थल है. यह मंदिर मीराबाई की जन्मस्थली कुड़की गांव के निकट स्थित है और इसे राजपूताना शैली में निर्मित किया गया है. मीराबाई, जिन्होंने कृष्ण भक्ति को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया था, ने यहीं पर अपनी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत की थी. मंदिर में मीराबाई की प्रतिमा और भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित है, जहां भक्त जन भजन-कीर्तन करते हैं. यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, बल्कि यह भक्तिकालीन साहित्य और लोक संस्कृति का जीवंत प्रतीक भी है. यहां हर वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और मीराबाई के भजनों का आयोजन होता है.

राजस्थान में अनगिनत बावड़ियां हैं जो उस काल की धार्मिक और सामाजिक प्रथाओं, सांस्कृतिक परंपराओं और रीति-रिवाजों और कला और वास्तुकला की झलक पेश करती हैं. हालांकि इनमें से काफी संख्या में बावड़ियां या तो जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं या उनका उपयोग नहीं हो रहा है, फिर भी राज्य भर में कई विरासत प्रेमियों द्वारा इन प्राचीन संरचनाओं को बड़े पैमाने पर सहेजने के लिए आंदोलन चलाया जा रहा है. ऐसी ही एक बावड़ी है छोटी खाटू में सदियों पुरानी फूल बावड़ी, जिसका रख-रखाव बेदाग है, हालांकि अब इसका इस्तेमाल नहीं होता. महाभारत काल के दौरान छोटी खाटू का शहर आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व रखता था. इस इलाके में बनी कई बावड़ियां 10वीं शताब्दी ईसा पूर्व से ही हैं.

राजस्थान के नागौर जिले में स्थित एक ऐतिहासिक दुर्ग है, जो अपने भव्य स्थापत्य और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है. यह किला 16वीं शताब्दी में राव करमसिंह ने बनवाया था, जो जोधपुर के शासक राव मालदेव के वंशज थे. खीवसर किला मरुस्थलीय क्षेत्र में स्थित होने के बावजूद अपनी मजबूत दीवारों और सुंदर महलों के लिए जाना जाता है. इसकी स्थापत्य शैली में राजपूती और मुगल वास्तुकला का सुंदर समन्वय देखा जा सकता है. किले के भीतर सुंदर झरोखे, दरबार हॉल, और आंतरिक आंगन इसकी भव्यता को दर्शाते हैं. वर्तमान में यह किला एक हेरिटेज होटल में परिवर्तित किया गया है, जो पर्यटकों को राजसी जीवनशैली का अनुभव कराता है.

नागौर का बुलंद दरवाजा ऐतिहासिक और स्थापत्य कला का एक अद्वितीय नमूना है. यह दरवाजा नागौर किले के मुख्य प्रवेश द्वार के रूप में स्थित है और इसका निर्माण मुगल काल में किया गया था. यह दरवाजा अपनी ऊंचाई, भव्यता और मजबूत बनावट के लिए प्रसिद्ध है. बलुआ पत्थर और चूने से बने इस दरवाजे पर मुग़ल वास्तुकला की छाप स्पष्ट दिखाई देती है, जिसमें नक्काशी, मेहराब और कलात्मक डिजाइन शामिल हैं. बुलंद दरवाजा केवल एक प्रवेश द्वार नहीं, बल्कि एक सैन्य दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण रहा है. वर्तमान में यह दरवाजा पर्यटकों को नागौर के समृद्ध इतिहास की झलक दिखाता है. हर वर्ष हजारों लोग इसकी भव्यता देखने आते हैं.
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