Home National राज्यपाल ने मनाया पश्चिम बंगाल का ‘स्थापना दिवस’, ममता बनर्जी ने जताई आपत्ति

राज्यपाल ने मनाया पश्चिम बंगाल का ‘स्थापना दिवस’, ममता बनर्जी ने जताई आपत्ति

0
राज्यपाल ने मनाया पश्चिम बंगाल का ‘स्थापना दिवस’, ममता बनर्जी ने जताई आपत्ति

[ad_1]

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने राज्य में राजनीतिक अराजकता को लेकर बड़ा बयान दिया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आपत्तियों के बावजूद राज्यपाल आनंद बोस ने मंगलवार को यहां राज भवन में राज्य का ‘स्थापना दिवस’ समारोह आयोजित किया.

बोस ने इस अवसर पर हिंसा को कतई बर्दाश्त नहीं करने की बात कही और आम जनता के स्वतंत्रता से मतदान करने के अधिकार पर जोर दिया. उन्होंने कहा, ‘मैं लोगों की भलाई और कल्याण के लिए समर्पित हूं. बंगाल में अपार संभावनाएं हैं और यह प्रतिभाओं से भरा हुआ है.’

समारोह में राज्य सरकार का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ. इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी सोमवार को पश्चिम बंगाल की जनता को राज्य के स्थापना दिवस के अवसर पर बधाई दी थी.

ममता ने कहा-फैसला  एकतरफा और हैरानी भरा
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार रात राज्यपाल बोस को पत्र लिखकर राज्य का स्थापना दिवस आयोजित करने के उनके फैसले को ‘एकतरफा’ बताया और हैरानी जताते हुए कहा, ‘राज्य की स्थापना किसी विशेष दिन नहीं हुई थी और कम से कम 20 जून को तो नहीं.’ उन्होंने पत्र में लिखा कि देश के विभाजन के समय लाखों लोग अपनी जड़ों से अलग हो गए थे और बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई तथा परिवार विस्थापित हुए.

ये भी पढ़ें- ममता बनर्जी सरकार को SC से भी मिला झटका- पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में होगी केंद्रीय बलों की तैनाती

सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने भी भारत सरकार के इस संदर्भ में फैसले की निंदा करते हुए ट्वीट किया, ‘लाखों लोगों के लिए त्रासदी से जुड़ा होने की वजह से बंगाल के विभाजन का उत्सव नहीं मनाया जाना चाहिए. इसके अलावा यह निर्णय ऐतिहासिक दृष्टि से भी किसी तरह सही नहीं है.’

शुभेंदु ने टीएमसी की आलोचना की
राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारतीय जनता पार्टी के नेता शुभेंदु अधिकारी ने स्थापना दिवस समारोह का विरोध करने पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की आलोचना की. उन्होंने कहा, ‘ममता बनर्जी राज्य का स्थापना दिवस नहीं मनाना चाहतीं क्योंकि उन्हें लगता है कि पश्चिम बंगाल किसी दूसरे देश में है. इतिहास को अप्रासंगिक नहीं बनाया जा सकता.’

” isDesktop=”true” id=”6592511″ >

क्या हुआ था 20 जून, 1947 को
बंगाल विधानसभा में 20 जून, 1947 को विधायकों के अलग-अलग समूह की दो बैठक हुई थीं. इनमें से एक गुट पश्चिम बंगाल को भारत का हिस्सा बनाना चाहता था और बहुमत से इस संबंध में प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया गया. अन्य समूह के विधायक उन क्षेत्रों से संबंध रखते थे जो अंतत: पूर्वी पाकिस्तान बन गया. असम में शामिल रहे सिलहट जिले के लिए जनमत-संग्रह आयोजित किया गया. दोनों ओर से करीब 25 लाख लोग विस्थापित हुए और विभाजन के बाद के दंगों में करोड़ों रुपये की संपत्ति को जला दिया गया.

कोई स्पष्टता नहीं थी बंगाल की सीमाओं को लेकर
ब्रिटिश संसद ने 15 जुलाई, 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया था और इसमें विभाजित हो रहे दो राज्यों -बंगाल और पंजाब की सीमाओं को लेकर कोई स्पष्टता नहीं थी. उसी साल नौ अगस्त को बंगाल के निवर्तमान प्रीमियर एच. एस. सुहारावर्दी और पश्चिम बंगाल तथा पूर्वी बंगाल के नव निर्वाचित प्रीमियर क्रमश: पी. सी. घोष और ख्वाजा नजीमुद्दीन द्वारा जारी संयुक्त बयान में शांतिपूर्ण हस्तांतरण का आग्रह किया गया.

Tags: CM Mamata Banerjee, Governor, West bengal news

[ad_2]

Source link