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यूपी में राज्यसभा का चुनाव रोचक होने और समाजवादी पार्टी खेमे में मची हलचल के बीच रालोद के नौ विधायक महत्वपूर्ण हो गए हैं। सभी ने एकजुटता दिखाते हुए गुरुवार को पार्टी अध्यक्ष जयंत चौधरी से मुलाकात की और साथ रहने का संकल्प जताया। इसके बाद भी जयंत की मुश्किलें बरकरार हैं। इसके पीछे तीन विधायकों का सपा पृष्ठभूमि का होना बताया जा रहा है। रालोद से जीते विधायक चंदन चौहान, अनिल कुमार और गुलाम मोहम्मद को विधानसभा चुनाव में आरएलडी के निशान पर लड़ाया गया था।
युवा राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन चौहान ने गुरुवार शाम दिल्ली से लौटकर यूनीवार्ता को बताया कि राजनीतिक हलकों में जोरशोर से यह चर्चाएं चल रही थीं कि हम जो तीन उम्मीदवार समाजवादी से ताल्लुक रखते थे और 2022 के विधानसभा चुनावों में रालोद के टिकट पर निर्वाचित हुए थे, भाजपा गठबंधन से नाखुश हैं और वापस अखिलेश यादव के साथ जा सकते हैं।
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चंदन ने बताया कि रालोद प्रमुख ने आज अपने आवास 97, शाहजहां रोड नई दिल्ली में बैठक बुलाई थी जिसमें सभी नौ विधायक शामिल हुए। छह अन्य विधायकों में अजय कुमार, राजपाल बालियान, मदन भैय्या, प्रदीप उर्फ गुड्डू, प्रसन्न चौधरी और अशरफ अली खां शामिल हैं।
गौरतलब है कि इनमें से चार विधायक अशरफ अली, गुलाम मोहम्मद, चंदन चौहान और मदन भैय्या अयोध्या राममंदिर के दर्शन को नहीं जा पाए थे, इससे लोकदल में फूट की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया था। चंदन चौहान ने बताया कि श्री जयंत चौधरी ने कहा है कि भाजपा के साथ जो गठबंधन हुआ है उसके बड़े लक्ष्य हैं। हमें इस बात को नहीं सोचना चाहिए कि कितनी सीटें मिलती हैं। आपस में समन्वय बनाकर हमें सभी सीटों पर जीत दिलाने के लिए पूरे प्रयास करने होंगे।
उन्होंने कहा कि गठबंधन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदत्यिनाथ तीनों बहुत ही खुश हैं। किसान आंदोलन के बारे में जयंत चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार खुले मन से किसान नेताओं से बात कर रही है। हिंसा और तोड़फोड़ के बजाए संवाद से ही किसानों की समस्याओं का समाधान निकलेगा।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में पार्टी के विधायक भाजपा के साथ नीचे से ऊपर तक समन्वय बनाने का काम करेंगे और वह केंद्रीय स्तर पर इसी भूमिका में होंगे। युवा रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन चौहान ने कहा कि जयंत चौधरी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों से अपील की कि वे धैर्य बनाए रखें और किसी भी हिंसक आंदोलन का हस्सिा ना बनें।