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राज्य के जिन 2005 निजी स्कूलों का यू-डायस कोड बंद किया गया है, उनमें फिलहाल 60,1500 विद्यार्थियों का दाखिला है। अब इन निजी स्कूलों को सभी नामांकित बच्चों की फीस वापस करनी होगी। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा अभिभावकों को पैसे वापस करने का आदेश दिया गया है। इस बाबत जिला शिक्षा कार्यालयों को पत्र लिखा गया है। जितने भी बच्चे स्कूल में नामांकित हैं, उनका साल बर्बाद न हो, इसके लिए सरकारी स्कूलों में नामांकन भी करवाने की जिम्मेवारी दी गयी है। बता दें कि राज्य के 2005 निजी स्कूलों द्वारा यू-डायस पोर्टल पर बच्चों की जानकारी नहीं देने पर बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने उनके यू-डायस कोड को रद्द कर दिया है। अब ये स्कूल हमेशा के लिए बंद हो जायेंगे।
सीबीएसई क्षेत्रीय कार्यालय और आईसीएसई की मानें तो कुल 2005 स्कूलों में से 805 स्कूलों ने नौवीं और दसवीं मान्यता के लिए संबंधित बोर्ड के पास ऑनलाइन आवेदन किया था। वहीं 534 स्कूलों ने 11वीं और 12वीं की मान्यता के लिए आवेदन दिया था। शेष स्कूल आठवीं तक चल रहे थे। ये स्कूल भी बोर्ड से मान्यता लेने की तैयारी कर रहे थे। इन स्कूलों में औसतन तीन सौ बच्चे नामांकित हैं।
यू-डायस कोड लेकर वर्षो से चल रहा थे फर्जी तरीके से स्कूल
इन स्कूलों ने संबंधित जिला शिक्षा कार्यालय से यू-डायस का कोड लिया था। ई-संबंधन में भी निबंधित थे। लेकिन बच्चों का नामांकन कागज पर था। बच्चे निजी स्कूल और सरकारी स्कूल दोनों ही जगहों पर नामांकित थे। सरकारी योजना का लाभ उठा रहे थे। जब इन स्कूलों से बच्चों की जानकारी मांगी गयी तो जानकारी नहीं दी क्योंकि अगर देते तो आधार नंबर से तुरंत पकड़ में आ जाते।
अभिभावकों को परेशानी हो तो करें डीईओ कार्यालय से संपर्क
निजी स्कूलों की ओर से अगर पैसा वापस करने में आनाकानी की जाती है तो अभिभावक डीईओ कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने इसको लेकर सभी डीईओ को निर्देश भी दिया है। बता दें कि सबसे ज्यादा मुजफ्फरपुर में 236 और सहरसा में 203 स्कूल शामिल हैं। पटना जिला के 185 स्कूलों का यू-डायस कोड बंद किया गया है।