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श्रीराम जन्मभूमि में विराजमान रामलला के दिव्य मंदिर निर्माण के उपरांत प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तिथि अभी तय नहीं है। श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपतराय का कहना है कि पांच सौ साल की प्रतिक्षा के बाद निर्माणाधीन मंदिर के विशेष मुहूर्त के लिए देश के विद्वानों से विमर्श किया जा रहा है। इसके अलावा इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी शामिल होना है तो पीएमओ के उपयुक्त समय के साथ भी तालमेल करना होगा। ऐसी स्थिति में सीधे कोई तिथि घोषित करना संभव ही नहीं है।
तीर्थ क्षेत्र महासचिव ने बताया कि कर्नाटक के मैसूर से श्याम वर्ण की पांच शिलाएं यहां आई हैं जिनमें से दो शिलाओं की कटिंग कर अंदर की गुणवत्ता परखी गयी। उन्होंने बताया कि दो शिलाओं में से एक अंदर चिपकी हुई दिखाई पड़ रही है। इसी तरह नेपाल से आई देवशिला की कटिंग के बाद उसमें भी अंदर की तरफ दरार नजर आ रही है। इसके कारण मूर्ति कला विशेषज्ञ आपसी विमर्श कर रहे हैं। उनकी सर्वसम्मति राय की प्रतीक्षा की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि जितना ज्यादा काम बढ़ाया जाएगा, उतना ही लोग उलझते जाएंगे इसलिए मूर्तिकारों का मत महत्वपूर्ण है। उन्होंने भवन निर्माण समिति की बैठक के विषय में बताया कि मकराना मार्बल की उपलब्धता कम हो गयी है। इसके कारण गर्भगृह के निर्माण की गति को फिलहाल धीमा कर दिया गया है जिससे कि पत्थर की गुणवत्ता से समझौता न करना पड़े।
जन्मभूमि परिसर में निर्माणाधीन मंदिर तक बनेगा डेढ़ किमी संपर्क मार्ग
श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र की भवन निर्माण समिति की बैठक के दूसरे दिन भी पहले सत्र में चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र ने अधिकारियों के साथ जन्मभूमि पथ सहित राम मंदिर की सीढ़ियों तक जाने वाले सम्पर्क मार्ग का निरीक्षण किया। तीर्थ क्षेत्र के न्यासी डा.अनिल मिश्र ने बताया कि रामजन्म भूमि परिसर के बाहरी पथ का निर्माण प्रदेश सरकार के माध्यम से हो रहा है लेकिन परिसर के अंदर पथ का निर्माण तीर्थ क्षेत्र ही कराएगा। इसके चलते निरीक्षण कर बैठक में विमर्श किया गया। उन्होंने बताया कि परिसर में करीब डेढ़ किमी.सम्पर्क मार्ग के निर्माण में किस पत्थर का प्रयोग हो, अंदर और बाहर की लाइटिंग डस्ट बिन को लेकर भी चर्चा की गयी। इसके अतिरिक्त तीर्थ यात्री सुविधा केंद्र व सप्त ऋषि मंदिर के आवागमन के मार्ग के निर्माण पर भी राय ली गयी।
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