हाइलाइट्स
भगवान शिव यहां ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए.
इस शिवलिंग को नागेश्वरनाथ के नाम से जाना जाता है.
Nageshwarnath Jyotirlinga : अयोध्या को भगवान राम की नगरी कहा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि अयोध्या में भगवान शिव भी विराजमान हैं. रुद्रायमल ग्रंथ में भगवान शिव ने माता पार्वती को अयोध्या के महत्व के बारे में विस्तार से बताया है. इस ग्रंथ में उन्होंने बताया है कि मैं अयोध्या नगरी को स्वयं अपने माथे पर धारण करता हूं. धार्मिक कथाओं के अनुसार, अयोध्या में एक बार भगवान शिव साक्षात प्रकट हुए थे, जब भगवान शिव वहां से जानें लगे तो भगवान राम के पुत्र कुश के कहने पर वहीं रुक गए. आइए जानते हैं इस रहस्य के बारे में विस्तार से भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
धार्मिक मान्यता के अनुसार, त्रेतायुग में जब भगवान राम के पुत्र कुश अयोध्या नगरी के स्वर्ग द्वार (राम की पैड़ी) में सरयू घाट में स्नान कर रहे थे तो उनके हाथों में बंधा बाजूबंद गिर गया. यह बाजूबंद नाग लोक की कन्या कुमुदनी को मिल गया और उसने इसे रख लिया. जब इस बात की जानकारी कुश को हुई तो वह क्रोधित हो गए. उन्होंने संपूर्ण नाग लोक के विनाश का श्राप दे दिया.
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श्राप से बचने के लिए नाग लोक के राजा और कुमुदनी नाग कन्या के पिता कुमुद ने भगवान शिव की तपस्या की और पूरी घटना की जानकारी दी. इसके बाद भगवान शिव तुरंत अयोध्या में प्रकट हुए और कुश से कहा कि वह नागलोक की कन्या को क्षमा कर दें. भगवान शिव के आग्रह पर कुश ने कन्या को क्षमा कर दिया और अपना श्राप वापस ले लिया.
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जब भगवान शिव अयोध्या नगरी से जाने लगे तब कुश ने कहा कि अब आप यहीं रह जाइए. भगवान शिव ने कुश की बात का मान रखा और ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हो गए. नागों के कारण भगवान शिव अयोध्या आए थे इसी कारण से इस शिवलिंग को नागेश्वरनाथ के नाम से जाना जाता है. आज भी वही ज्योतिर्लिंग इस मंदिर में विराजित है.
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Tags: Dharma Aastha, Lord Ram, Nageshwar jyotirlinga, Religion
FIRST PUBLISHED : January 22, 2024, 08:02 IST