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राम मंदिर में निर्धारित आचार संहिता के अनुपालन की प्रक्रिया अब शुरू हो गयी। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद से ही यहां दर्शनार्थी की भीड़ के कारण नवीन व्यवस्थाएं नहीं लागू हो पा रही हैं। हाल यह है कि सुबह साढ़े चार बजे रामलला के मंगला आरती दर्शन के लिए एक सौ पास निर्गत करने की व्यवस्था के बाद भी ब्रह्ममुहूर्त से ही श्रद्धालु गण कतारबद्ध हो जा रहे हैं।
फिलहाल माघ शुक्ल प्रतिपदा से शुरू हुए गुप्त नवरात्र के अनुष्ठान क्रम में यहां सप्तमी पर्व से आचार संहिता के अनुसार पूजन विधि शुरू की गयी है। इस प्रक्रिया में बालक रामलला समेत उत्सव विग्रह एवं विराजमान रामलला का प्रतिदिन दस लीटर सरयू जल से अभिषेक भी शुरू हो गया है। अब तक प्रतीकात्मक रूप अभिषेक हो रहा था।
इसके लिए दो स्थाई सहायक पुजारियों के साथ चार प्रशिक्षु पुजारियों को तैनात किया गया है। रामलला के अभिषेक के लिए प्रतिदिन यहां सरयू जल नदी से मंगवाया जाता है। राम मंदिर के सहायक पुजारी संतोष कुमार तिवारी ने जानकारी दी कि जिस प्रकार भगवान शिव का श्रृंगी से जलाभिषेक किया जाता है, उसी तरह बालक रामलला का अभिषेक शंख के अरघे से किया जाता है।
वैदिक मंत्रोच्चार के साथ इस अभिषेक के दौरान जल की धारा भगवान पर पड़ती है तो दूसरी तरफ दूसरे पुजारी अरघे में जल भरने का कार्य करते हैं। इस अभिषेक के समय भगवान को अलग महीन सूती परिधान उनके अंगों पर डाला जाता है। अभिषेक का जल पूरे आसन पर फैलने से रोकने के लिए भी नीचे सूती तौलिया डाला जाता है।
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भगवान के यंत्र का भी अभिषेक कर किया जाता है पूजन
बताया गया कि बालक रामलला के साथ उत्सव विग्रह के रूप में प्रतिष्ठित रामलला के रजत विग्रह एवं विराजमान रामलला व उनके अनुजों का भी वैदिक मंत्रोच्चार से अभिषेक किया जाता है। यह अभिषेक उन्हें थाल में बैठाकर किया जाता है। इसी तरह भगवान के श्रीविग्रह के नीचे प्रतिष्ठित भगवान के यंत्र का भी विधि प्रकार से अभिषेक कर प्रतिदिन पूजन किया जाता है।
अभिषेक के बाद भगवान के अंगों से जल को सुखाकर उन्हें नवीन परिधान धारण कराए जाते हैं। पुनः तिलक-चंदन के उपरांत उनका श्रृंगार आभूषणों से किया जाता है। इसके बाद रबड़ी -पेड़ा व फलादि का प्रसाद भोग लगाकर उनकी श्रृंगार आरती की जाती है। बताया गया कि इस श्रृंगार आरती का समय सुबह सवा छह बजे निर्धारित कर दिया गया है।
रामलला के मंडल पूजन में 13 करोड़ राम मंत्र से हवन का संकल्प
अयोध्या। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के दूसरे दिन से यहां शुरू हुए 48 दिवसीय मंडल पूजन में 13 राम मंत्र से हवन का संकल्प लिया गया है। इसके अतिरिक्त अथर्ववेद की 12 शाखाओं के मंत्रों से भी प्रतिदिन हवन किया जा रहा है। श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के न्यासी एवं पेजावर मठ पीठाधीश्वर जगद्गुरु माध्वाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्न तीर्थ के नेतृत्व में इस हवन अनुष्ठान में दक्षिण भारत के 40 विद्वान आचार्य गण शामिल हैं। यहां प्रतिदिन प्रातः छह बजे से पूर्वाह्न 11 बजे तक हवन एवं अपराह्न एक बजे तक चतुर्वेदों एवं श्री मद वाल्मीकि रामायण सहित अन्य रामायण का पारायण चलता है। पुनः सायंकाल भगवान के रजत विग्रह के साथ प्रतिदिन दो बार भगवान की पालकी यात्रा निकाली जाती है।