कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मणिपुर दौरे का आज दूसरा दिन है। आज राहुल उन रिलीफ कैंप में जाने की कोशिश करेंगे जहां उन्हें कल प्रशासन ने जाने की इजाजत नहीं दी थी। कल देर शाम राहुल गांधी चुराचांदपुर राहत शिविर गए थे जहां उन्होनें पीड़ितों का हाल जाना। यहीं पर उन्होंने पीड़ितों के साथ खान भी खाया। हालांकि कांग्रेस नेता को सुरक्षा का हवाला देते हुए हिंसा प्रभावित मोइरांग जाने से रोक दिया गया था। आज भी राहुल तुईबुंग, कोनजेनबाम और मोइरांग में हिंसा पीड़ितों से मिलने की कोशिश करेंगे।
असम CM ने किया ट्वीट
वहीं राहुल के मणिपुर दौरे और उसके बाद शुरू हुई सियासत को लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने भी राहुल को हिंसा पर सियासत नहीं करने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि राज्य में स्थिति करुणा के जरिए मतभेदों को दूर करने की मांग करती है, न कि किसी नेता के दौरे से मतभेदों को बढ़ाने की। शर्मा ने कहा कि राहुल गांधी के मणिपुर दौरे को मीडिया ने बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है और इस वक्त किसी को पूर्वोत्तर राज्य की ‘‘दुखद’’ स्थिति से राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। सीएम ने ट्वीट किया, ‘‘मणिपुर में स्थिति करुणा के जरिए मतभेदों को दूर करने की मांग करती है। किसी नेता द्वारा अपनी तथाकथित यात्रा का उपयोग मतभेदों को बढ़ाने के लिए करना राष्ट्र के हित में नहीं है। राज्य के दोनों समुदायों ने ऐसे प्रयासों को साफ तौर पर खारिज कर दिया है।’’
BJP ऑफिस पर भीड़ का हमला
इस बीच गुरुवार की देर शाम इंफाल में भीड़ ने बीजेपी ऑफिस के घेराव के दौरान एक बार फिर हिंसक प्रदर्शन किया। भारी संख्या में बीजेपी ऑफिस के बाहर खड़े भीड़ को हटाने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े जिसके बाद गुस्साई भीड़ ने आगजनी कर सड़क जाम कर दिया। बहुत देर तक उपद्रवियों और पुलिस के बीच संघर्ष चलता रहा। इससे पहले मणिपुर में कंगपोकपी जिले के एक गांव में गुरुवार सुबह दंगाइयों ने बिना किसी उकसावे के गोलीबारी की थी जिससे इलाके में तनाव पैदा हो गया।
मणिपुर में राहुल गांधी ने पीड़ितों का हालचाल जाना
हिंसा में अब तक 125 से ज्यादा लोगों की गई जान
राहुल मणिपुर तब गए हैं, जब हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री ने मणिपुर के हालात पर सर्वदलीय बैठक की थी। तीन मई के बाद से जातीय हिंसा में घिरे पूर्वोत्तर राज्य में कांग्रेस नेता की यह पहली यात्रा है। मणिपुर में मैतेई समुदाय को ST श्रेणी में शामिल करने के मुद्दे पर कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा जारी है जिसमें अब तक 125 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। हिंसा को देखते हुए राज्य में इंटरनेट पर बैन लगा है। राज्य में 36 हजार सुरक्षाकर्मी और 40 IPS तैनात किए गए हैं। इन सबके बावजूद मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही और साथ ही सियासत भी।