रामचरितमानस पर विवाद
उत्तर प्रदेश: लखनऊ में रामचरितमानस की प्रतियां फाड़ने और जलाने के मामले में 8 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। यह जानकारी पुलिस ने दी है। प्राथमिकी लखनऊ के पीजीआई थाने में दर्ज कराई गई है। स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) राजेश राणा ने कहा कि उन्हें बीजेपी सदस्य सतनाम सिंह लवी से शिकायत मिली थी, जिसके आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई।
‘पवित्र पुस्तक के खिलाफ बात की’
उन्होंने कहा, “रामचरितमानस के खिलाफ अभद्र टिप्पणियां और सार्वजनिक रूप से इसके पन्नों को जलाने से समाज में विभाजन और सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है। आरोपी ने सोशल मीडिया पर पवित्र पुस्तक के खिलाफ बात की और हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई।” थानाध्यक्ष ने बताया कि आरोपियों में यशपाल सिंह लोधी, देवेंद्र यादव, महेंद्र प्रताप यादव, नरेश सिंह, एसएस यादव, सुजीत, संतोष वर्मा और सलीम शामिल हैं।
समर्थन में उतरे थे नामजद आरोपी
इन सभी पर भारतीय दंड संहिता की धारा- 153-ए, 295 ए, 505 और 298 और आईटी अधिनियम की धारा 66 के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने कहा कि प्राथमिकी में नामजद आरोपी रविवार को अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के बैनर तले समाजवादी पार्टी एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में उतरे थे।
सपा नेता अपने बयान पर कायम
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना है, “गाली कभी धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता। अपमान करना किसी धर्म का उद्देश्य नहीं होता। जिन पाखंडियों ने धर्म के नाम पर पिछड़ो, महिलाओं को अपमानित किया, नीच कहा, वो अधर्मी हैं…किसने कहा रामचरितमानस धार्मिक ग्रंथ है? तुलसीदास ने तो नहीं कहा।”
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