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आजकल सेहत के प्रति जागरूक लोग अक्सर यह सोचते हैं कि फल का जूस पीना एक हेल्दी ऑप्शन है. लेकिन एक हालिया रिपोर्ट ने इस सोच पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. TOI में छपी एक खबर के अनुसार, फ्रूट जूस जिसे हम ऊर्जा और पोषण का अच्छा स्रोत मानते हैं, वह लिवर हेल्थ यानी यकृत स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. खासकर तब, जब आप इसे नियमित रूप से पीते हैं और इसे हेल्दी डाइट का हिस्सा मान लेते हैं.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि चाहे जूस घर पर ताजा बनाया गया हो या मार्केट से खरीदा गया हो, उसमें शुगर की मात्रा अधिक होती है. खासतौर पर पैकेज्ड जूस में अतिरिक्त मीठा, प्रिजर्वेटिव्स और सिरप मिलाए जाते हैं, जो स्थिति को और बदतर बना देते हैं. यहां तक कि ‘शुगर फ्री’ कहे जाने वाले आर्टिफिशियल स्वीटनर वाले ड्रिंक्स भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं होते. कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि ये भी लिवर और मेटाबॉलिज्म पर बुरा असर डाल सकते हैं.
इसके अलावा, दिनचर्या में नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और प्रोसेस्ड फूड से दूरी भी जरूरी है. एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि एक व्यक्ति को दिन में दो बार फल जरूर खाना चाहिए, लेकिन जूस के रूप में नहीं, बल्कि साबुत रूप में. लिवर को स्वस्थ रखने के लिए यह छोटा-सा बदलाव लंबे समय तक फायदेमंद साबित हो सकता है.
फलों का जूस- जहरीला फ्रुक्टोज
फल का जूस, चाहे वो ताजा हो या पैकेट वाला, जल्दी से त्वरण में लिवर तक पहुंचने वाले फ्रुक्टोज से भरा होता है. लेकिन इससे बड़ा नुकसान यह है कि जूस से निकलकर निकलने वाला फाइबर उसे धीरे-धीरे रक्त में पहुंचने नहीं देता, जबकि जूस का शक्कर सीधे लिवर तक स्ट्रेट पहुंचती है. इस तेज इनपुट से आपकी यकृत कोशिकाएं असंतुलित हो जाती हैं और भविष्य में फैटी लीवर जैसी समस्या होती है.
Times of India की एक दूसरी रिपोर्ट में बताया गया है कि साबुत फल में मौजूद फाइबर शर्करा की मॉडरेशन करता है, जिससे लिवर को अचानक जोरदार मात्रा में फ्रुक्टोज न मिलकर धीरे-धीरे मिलता है. दरअसल, लिवर को उसी समय ज्यादा फ्रुक्टोज नहीं मिलना चाहिए अन्यथा वो इसे फैट में बदल देता है. वहीं साबुत फल के साथ संतुलित पोषण मिलता है. कुछ लोग ज्यादा शुगर कॉर्न सिरप की बजाए शुगर-फ्री आर्टिफिशियल स्वीटनर्स का सहारा लेते हैं, लेकिन ये भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं साबित हुए हैं. प्रारंभिक अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि इनमें कुछ स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं हो सकती हैं और यह कार्बोहाइड्रेट और इंसुलिन प्रतिक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं.
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक विशेषज्ञों की राय है कि फलों के जूस का सेवन कम से कम रखें. यदि लिवर सेहतमंद रखना है तो है साबुत फल और पानी का सेवन करें. इसके अलावा, एयर-फ्रूट के अलीहमल से बने ड्रिंक या कुल्ला के लिए ग्रीन टी, नींबू पानी, और पानी जैसे विकल्प ज्यादा सुरक्षित हैं.
संतुलित आहार के साथ स्वस्थ आदतें
NAFLD जैसी समस्याओं से बचने का तरीका है. फाइबर युक्त फल, नियमित व्यायाम, और शुगर-भरे ड्रिंक से दूरी. फल को कट कर खाने की बजाय रोज दो हिस्से (लगभग 80 ग्राम) का सेवन सीमित करें. इसके अलावा, ग्रीन टी, ब्लड बेल्ड ड्रिंक जैसे आंत स्वाथ्यवर्धक बिंदु, जैसी आदतें अपनाएं.
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