Liver Disease warning symptoms: लिवर हमारे शरीर का एक ऐसा अंग है जिस पर पूरे शरीर का स्वास्थ्य निर्भर करता है. अच्छे स्वास्थ्य के लिए लिवर का स्वस्थ्य होना बहुत जरूरी है. लिवर के ठीक के काम न करने और इससे संबंधित बीमारियों की वजह से कई बड़ी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. पिछले कई अध्ययनों में यह सामने आ चुका है कि लिवर की बीमारी से हृदय रोग का भी खतरा बढ़ जाता है. अब लिवर को लेकर एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है कि लिवर की बीमारी के शुरुआती लक्षण भी हृदय रोग के जोखिम को तेजी से बढ़ा सकते हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार जर्नल जर्नल फ्रंटियर्स इन कार्डियोवास्कुलर मेडिसिन में प्रकाशित लेख के अनुसार हृदय रोग और लिवर रोग के बीच एक मजबूत कड़ी है.
लिवर रोग और हृदय रोग के बीच संबंधों को जानने के लिए हेल्थ एक्सपर्ट और शोधकर्ताओं ने रोगियो के FIB4 स्कोर की तुलना की. यह स्कोर गंभीर लिवर रोग के जोखिम का संकेत देता है. इस स्कोर में शोधकर्ताओं को यह पता चला कि लिवर रोग का हृदय रोग से सीधे तौर पर जुड़ा था. स्मिड्ट हार्ट इंस्टीट्यूट में कार्डियोलॉजिस्ट और कार्डियक इमेजिंग शोधकर्ता एलन क्वान ने कहा कि यह पहले हुए शोध का दायरा सीमित थी. उनमें सिर्फ इस बात को ध्यान में रखा गया था कि सिरोसिस और नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज कैसे हृदय रोग को प्रभावित करता है.
इस साल की शुरुआत में, अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि गैर-मादक वसायुक्त यकृत रोग तेजी से बढ़ते हुई बीमारी है जिससे हर चार अमेरिकियों में से एक शख्स प्रभावित है. नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज एथेरोस्क्लेरोटिक हृदय रोग के जोखिम के लिए एक बड़ा कारक है.
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क्वान ने कहा इस अध्ययन के साथ हमारा समग्र उद्देश्य हृदय और यकृत के बीच संबंधों की जांच करना था. उन्होंने कहा कि यकृत कोलेस्ट्रॉल को प्रोसेस करता है और कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से रक्त में थक्के जमने लगते है जिससे सूजन और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए लिवर संबंधी बीमारियों पर कड़ी नजर रख रहे हैं.
शोधकर्ताओं ने लिवर संबंधी बीमारियों से ग्रसित करीब 1,668 लोगों को अपने अध्ययन में शामिल किया और इन सभी लोगों के करीब 11 साल के रिकॉर्ड को जांचा परखा गया. समीक्षा में यह सामने आया कि करीब 86 प्रतिशत लिवर मरीजों में दिल संबंधी किसी न किसी प्रकार की बीमारी थी. क्वान ने कहा कि हमने समीक्षा में पाया कि रोगियों में हृदय से निकलने वाली नसों की साइज में परिवर्तन भी देखने को मिला.
शोधकर्ता ने कहा कि जब हम हृदय की जांच करते हैं तो आमतौर पर लिवर की बीमारियों पर ध्यान नहीं देते लेकिन अब शोध से यह पता चला है कि लिवर की बदलती स्थिति का हमारे हृदय और ब्लड कोशिकाओं पर असर पड़ता है इसलिए समय समय पर लिवर की जांच भी कराते रहना चाहिए. हम किसी भी तरह से हृदय और लिवर को अलग अलग अंग के तौर पर नहीं देख सकते हैं
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Tags: Health, Heart attack, Heart Disease
FIRST PUBLISHED : December 10, 2022, 12:13 IST