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अब लूना-26 की तैयारी
लूना-25 के क्रैश के बाद रूस ने अब लूना-26 की तैयारी शुरू कर दी है। लूना-25 का नाम चंद्रमा मिशनों की लूना श्रृंखला के तहत ही रखा गया था। सन् 1960 और 1970 के दशक में सोवियत संघ ने लूना सीरीज में कई प्रयोग किए थ। सन् 1976 में लॉन्च किया गया लूना-24, चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला आखिरी रूसी अंतरिक्ष यान था। लूना 25 के बाद अगले तीन साल में रूस लूना-26 को लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। रूस के अलावा कई और देश भी अगले कुछ सालों में चांद की तरफ दौड़ते हुए नजर आएंगे।
चीन के साथ होगा अगला मिशन
रूस ने अगले सात सालों में कम से कम तीन और लूनर मिशन की योजना बनाई है। उसके बाद रूस और चीन मिलकर संभावित चालक दल वाले लूनर मिशन पर काम करते हुए नजर आएंगे। चीन लूनर मिशन के अगले चरण के तहत चंद्रमा पर मानवयुक्त मिशन को भेजने की तैयारी कर रहा है। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग और वहां पर पानी तलाशना सबसे मुश्किल काम है। रूस और चीन एक साथ मिलकर इस काम को करते हुए नजर आएंगे। अमेरिका, चीन, भारत, जापान और यूरोपियन यूनियन जैसी बड़ी शक्तियां हाल के कुछ वर्षों में चांद की तरफ रवाना हुई हैं।
एक साल तक का था मिशन
लूना-25 सोमवार को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला था। चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव हमेशा से वैज्ञानिकों के लिए रहस्य और रुचि का विषय रहा है। वैज्ञानिक मानते हैं कि स्थायी रूप से छाया वाली जगहों पर ध्रुवीय क्रेटरों की चट्टानों में जमे पानी जमा है। जिसे भविष्य में हवा और रॉकेट ईंधन में बदला जा सकता है। लूना-25 एक साल तक चांद पर रुक कर वहां पर कई तरह की रिसर्च करने वाला था। उसकी रेस भारत के चंद्रयान-3 से थी जिसकी लैंडिंग 23 अगस्त को होनी है। अभी तक सिर्फ तीन देश ही चांद पर सफल लैंडिंग कर सके हैं, सोवियत संघ, अमेरिका और चीन, लेकिन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर कोई नहीं उतर पाया है। अगर चंद्रयान-3 ऐसा करता है तो भारत पहला देश बन जाएगा।
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