Saturday, April 19, 2025
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लॉन्ग कोविड भी सडेन कार्डिएक अरेस्ट का बन रहा है कारण, एम्स के डॉक्टर का चौंकाने वाला खुलासा


हाइलाइट्स

लॉन्ग कोविड लक्षणों के बाद किसी व्यक्ति की हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट से मौत हो सकती है.
काडिएक अरेस्ट के दौरान हार्ट में इलेक्ट्रिकल गड़बड़ियां हो जाती है.यह मौत के बराबर है.

Long covid and cardiac arrest: कई सेलीब्रिटियों के हार्ट अटैक से मौत के बाद पिछले दिनों आम लोगों के कई ऐसे वीडियो आए जिनमें बेहद कम उम्र में युवा चलते-चलते या डांस करते-करते या जिम में वर्कआउट करते-करते ही अचानक कार्डिएक अरेस्ट के शिकार हो गए. इसके बाद लोगों में दहशत मच गई. डॉक्टरों का कहना है कि पिछले कुछ सालों से हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट के मामले बढ़ गए हैं. अब हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट से सिर्फ 60 साल के बाद के उम्र के लोग ही नहीं बल्कि 20 साल के युवाओं की भी मौत होने लगी है. इस मामले को लेकर दुनिया के अलग-अलग जगहों में रिसर्च भी हो रही है. इस बीच एम्स के डॉक्टर का कहना है कि हाल के दिनों में सडेन कार्डिएक अरेस्ट के बढ़ते मामलों को संबंध लॉन्ग कोविड से हो सकता है.

इसे भी पढ़ें- Heart attack, diabetes test: डायबिटीज, हार्ट अटैक का डर होगा खत्म, सिंपल टेस्ट से पहले चल जाएगा पता

चाहे 20 साल की क्यों न उम्र हो, हार्ट के लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करें
टीओआई की खबर में एम्स में कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ राकेश यादव कहते हैं,”हालांकि अब तक सडेन कार्डिएक अरेस्ट को लेकर कोई डाटा उपलब्ध नहीं है लेकिन वास्तविक प्रमाण यह है कि लॉन्ग कोविड भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकता है.” डॉ. यादव ने अपने सहयोगियों के साथ इंडियन हार्ट जर्नल में एक लेख प्रकाशित किया था जिसमें उन्होंने उन संभावितों तंत्रों को चिन्हित करने की कोशिश की थी जिसमें लॉन्ग कोविड लक्षणों के बाद किसी व्यक्ति की हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट से मौत हो सकती है. इसमें अनियमित धड़कन और हार्ट के मसल्स के कमजोर होने को भी चिन्हित किया गया था. प्रोफेसर राकेश यादव ने बताया कि समय के साथ लॉन्ग कोविड संक्रमण और हार्ट से संबंधित जटिलताओं के बीच कड़ियों का प्रमाण बढ़ा ही है. ऐसे में मेरा सिर्फ इतना सुझाव है कि लोगों को दिल से संबंधित लक्षणों को किसी भी हाल में नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, चाहे उनकी उम्र 20 साल ही क्यों न हो. इसके साथ ही यह भी सलाह दी जाती है कि नियमित रूप से वे हार्ट की जांच कराते रहे ताकि हार्ट डिजीज के जोखिमों से बचा जा सके.

परिवार के सदस्यों को जांच करानी चाहिए
एम्स में ही फोरेंसिक और टोक्सिकोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ सुधीर गुप्ता ने बताया कि अगर किसी ऐसे युवा की मौत कार्डिएक अरेस्ट से होती है जिसमें पहले से हार्ट से संबंधित कोई लक्षण नहीं था, तो उसके परिवार को हर हाल में उसका पोस्टमॉर्टम कराना चाहिए. इससे मौत की असली वजह का पता चल सकेगा. इसके अलावा अगर किसी की मौत कार्डिएक अरेस्ट से हो गई है और उसका पहले से कभी हार्ट का इलाज नहीं चला था, तो ऐसे व्यक्ति के परिवार को भी हार्ट से संबंधित जांच करानी चाहिए ताकि हार्ट अटैक के जोखिमों को कम किया जा सके. क्योंकि कुछ हार्ट अटैक का सीधा संबंध परिवार से रहता है. डॉक्टरों ने इस बात पर भी जोर दिया कि आज के समय में आम लोगों में भी कार्डिएक अरेस्ट और हार्ट अटैक के बारे में जानकारी होनी चाहिए.

कार्डिएक अरेस्ट और हार्ट अटैक में अंतर
हार्ट अटैक तब होता है जब कोरोनरी आर्टरीज के किसी खास हिस्से में कोलेस्ट्रोल की परत जमा हो जाती है. इससे आर्टरीज में ब्लोकेज बनने लगता है और खून हार्ट की तरफ नहीं पहुंचता है या कम पहुंचता है. वहीं काडिएक अरेस्ट के दौरान हार्ट में इलेक्ट्रिकल गड़बड़ियां हो जाती है. इसमें हार्ट बीट बहुत तेज धड़कने लगता है और अचानक हार्ट काम करना बंद कर देता है. यह मौत के बराबर है. इसमें बहुत कम ही लोग बच पाता है.

Tags: Cardiac Arrest, Health, Health tips, Heart attack, Lifestyle



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