Friday, February 7, 2025
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‘लोग सोचते हैं कि हम बच्चों को खाते हैं…’ निठारी कांड के आरोपी के भाई ने किया खुलास


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निठारी कांड के आरोपियों ने किया खुलासा

दिल्ली: नोएडा के चर्चित निठारी कांड के दोनों आरोपियों को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सबूत के अभाव में बरी कर दिया। 17 साल के बाद दोनों अरोपी सुरिंदर कोली और कोली के सहयोगी मोनिंदर सिंह पंढेर को रिहा कर दिया गया। दोनों पर संगीन आरोप लगे थे जिसके बाद दोनों को 17 साल की सजा के बाद रिहा किया गया। आरोपों में बड़ा आरोप ये था कि दोनों बच्चों की हत्या कर उनके शव खा लेते थे। इस बारे में अब सुरिंदर कोली के भाई ने बड़ा खुलासा किया और न्यूज एजेंसी आजतक को बताया कि “हमें मांस और मछली खाना पसंद था, लेकिन जिस दिन मेरा भाई (सुरिंदर कोली) जेल गया, सब कुछ बदल गया। सालों तक हमने प्याज और लहसुन के साथ खाना भी नहीं बनाया… हमें डर था कि अगर गंध फैल गई, तो पड़ोसी सोचेंगे कि हम बच्चों को मारकर खाना बना रहे हैं और वे हम पर हमला करने आ सकते हैं।” ये भयावह शब्द सुरिंदर कोली के भाइयों में से एक के हैं।

ये सब बस अफवाह थी

16 अक्टूबर को, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सुरिंदर कोली को हत्या, अपहरण, बलात्कार और सबूत नष्ट करने के सभी आरोपों से बरी कर दिया और कहा कि उसे दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे। कोली के सहयोगी मोनिंदर सिंह पंढेर को भी 17 साल पुराने मामले में बरी कर दिया गया। 2006 में, नोएडा के निठारी गांव में पंढेर के डी-5 बंगले और उसके आसपास कई मानव अवशेषों की खोज के बाद नोएडा पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया था। दोनों पर हत्या के कई मामलों का आरोप लगाया गया था। इस भयानक खबर के बाद अगले ही दिन, एक बेतहाशा अफवाह फैल गई कि दोनों ने शवों के अवशेषों को प्रेशर कुकर में पकाया और उन्हें खा लिया।

सुरिंदर कोली के भाई ने किया खुलासा

सुरेंद्र कोली के भाई ने पिछले 17 वर्षों की अपनी आपबीती साझा करते हुए बताया “पिछले 16 वर्षों में, लोगों ने मुझ पर पत्थर फेंके, गालियां दीं। उन वर्षों में, मैं केवल ‘निठारी के कोली का भाई’ बनकर रह गया था। पिछले 17 सालों से, सुरिंदर (सुरिंदर कोली) के साथ हम भी ऐसे रह रहे हैं जैसे कि जेल में हों। हमारा सामान हमारे घर से बाहर फेंक दिया गया। हम अपना नाम और चेहरा छुपाते हुए घूमते रहे।’ उन्होंने आगे बताया कि सर्च इंजन गूगल पर, अगर कोई निठारी खोजता है, तो उसे हिंदी और अंग्रेजी दोनों में “नरभक्षी”, “सीरियल रेपिस्ट” और “बीस्ट” जैसे शब्दों वाले लेख मिलते हैं। ये 17 साल हमपर इतने भारी पड़े जैसे जुर्म हमने किया हो, हम जिदा हैं यही बहुत है।

 

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