Home World लोन नहीं मिला तो IMF पर ही बरस पड़े बिलावल, बोले- खामियां निकालने का यही वक्त है क्या?

लोन नहीं मिला तो IMF पर ही बरस पड़े बिलावल, बोले- खामियां निकालने का यही वक्त है क्या?

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लोन नहीं मिला तो IMF पर ही बरस पड़े बिलावल, बोले- खामियां निकालने का यही वक्त है क्या?

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इस्लामाबाद : पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा है कि उनका देश अलग-अलग तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा है जिसमें आर्थिक संकट से लेकर विनाशकारी बाढ़ से पैदा हुए हालात और अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद आतंकवाद का एक बार से सिर उठाना शामिल है। पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो के 34 वर्षीय बेटे बिलावल ने अमेरिकी समाचार एजेंसी ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को गुरुवार को दिए इंटरव्यू में कहा कि अन्य देशों की तरह ही उनका देश भी ‘अति पक्षपातपूर्ण’ और ‘अति-ध्रुवीकृत राजनीति’ का शिकार रहा है।

नकदी की तंगी से जूझ रहे अपने देश की आर्थिक मदद की जरूरत पर चर्चा करते हुए उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की आलोचना की जिसने छह अरब डॉलर के राहत पैकेज को पिछले माह टाल दिया था, क्योंकि पाकिस्तान 2019 के एक समझौते के तहत शर्तों को पूरा करने में नाकाम रहा था। सरकार ने इसका ठीकरा पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के सिर फोड़ा है जो अब विपक्ष के नेता हैं। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, आईएमएफ ने पाकिस्तान को नए निर्देश दिए हैं कि वह टैक्स बढ़ाए, राजस्व इकट्ठा करे और सब्सिडी को कम करे और इसका बोझ गरीबों पर न पड़े।

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‘हमारी कमियां निकालने का यही सही समय?’

जरदारी ने कहा कि उनकी पार्टी राजस्व इकट्ठा करने में विस्तार का समर्थन करती है और मानती है कि जो संपन्न हैं, उन्हें अधिक टैक्स देना चाहिए, लेकिन उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आईएमएफ के पिछले 23 कार्यक्रमों के लिए संरचनात्मक कर सुधार को हासिल करने में असमर्थ रहा है। उन्होंने कहा, ‘हमारी टैक्स नीति और टैक्स इकट्ठा करने में खामियां ढूंढने का क्या यह सही वक्त है, जब हम इस स्तर पर जलवायु तबाही का सामना कर रहे हैं।’ ज़रदारी ने कहा कि आईएमएफ का रवैया पाकिस्तान के लिए उचित नहीं रहा है, क्योंकि उनका मुल्क अफगानिस्तान से पश्चिम देशों की सेनाओं की वापसी के बाद एक लाख नए शरणार्थियों से जूझ रहा है और ‘हमारे देश में आतंकवाद की गतिविधियां बढ़ गई हैं।’

संकटों के बवंडर में फंसा पाकिस्तान

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान कोविड-19 महामारी, अगस्त 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के काबिज़ होने, महंगाई और आपूर्ति श्रृंखला में बाधा होने के बावजूद आर्थिक तौर पर मुश्किलों का प्रबंधन कर पाया है। मगर पिछले साल आई विनाशकारी बाढ़ ने 1739 लोगों की जान ले ली और 20 लाख घरों को तबाह कर दिया तथा 30 अरब डॉलर का नुकसान किया जो ‘सबसे बड़ी, सबसे विशानकारी जलवायु तबाही थी जिसका हमने सामना किया।’ जरदारी ने यह भी कहा कि उनका देश अपने पड़ोसियों के साथ कई चुनौतियों का सामना कर रहा है।

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बिलावल ने की चीनी मदद की तारीफ

उन्होंने भारत के संग कई द्विपक्षीय मुद्दों, अफगानिस्तान में दशकों के संघर्ष के साथ-साथ ईरान पर प्रतिबंधों को रेखांकित किया जिससे उसके साथ उनके देश का व्यापार बाधित हुआ। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के ‘हमारे पड़ोसी चीन के साथ बहुत अच्छे आर्थिक रिश्ते हैं जिन पर जाहिर तौर पर भू-राजनीतिक घटनाक्रम की वजह से खास ध्यान है।’ जरदारी ने कहा कि सरकार तीन मार्च को एक बार फिर 1.3 अरब डॉलर के कर्ज की घोषणा किए जाने के लिए बीजिंग की ‘बहुत आभारी’ है। उन्होंने कहा, ‘चीन की सरकार ने पाकिस्तान की मदद की है चाहे वह कर्ज चुकाकर हो या किसी अन्य तरह से आर्थिक सहायता मुहैया करा कर। चाहें जहां से भी हमें मिल सके, हमें मदद की जरूरत है।’

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