Home Life Style वट सावित्री व्रत आज, बरगद के पेड़ में क्यों 7 बार लपेटते हैं कच्चा सूत? वट वृक्ष की पूजा से जुड़ी 4 रोचक बातें

वट सावित्री व्रत आज, बरगद के पेड़ में क्यों 7 बार लपेटते हैं कच्चा सूत? वट वृक्ष की पूजा से जुड़ी 4 रोचक बातें

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वट सावित्री व्रत आज, बरगद के पेड़ में क्यों 7 बार लपेटते हैं कच्चा सूत? वट वृक्ष की पूजा से जुड़ी 4 रोचक बातें

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हाइलाइट्स

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार बरगद को देव वृक्ष माना गया है.
बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु, महेश निवास करते हैं.

Vat Savitri Vrat 2023: हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री का व्रत रखती हैं. इस वर्ष वट सावित्री व्रत पर बहुत ही शुभ संयोग बन रहा है और इस दिन शनि जयंती भी पड़ रही है. वट सावित्री के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर बरगद के पेड़ की विधिवत पूजा-अर्चना करती हैं. प्राचीन कथाओं की मानें तो इस दिन माता सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण को यमराज से वापस ले आई थीं. इसलिए इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु विशेषज्ञ पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं वट सावित्री व्रत और पूजा में बरगद पर क्यों लपेटे हैं कच्चा सूत?

कब है वट सावित्री व्रत

हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या की तिथि 18 मई को रात 9:42 से प्रारंभ होगी और 19 मई रात 9:22 पर समाप्त हो जाएगी. उदया तिथि के अनुसार वट सावित्री व्रत इस बार 19 मई को है.

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क्यों होती है बरगद की पूजा?

1- हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार बरगद को देव वृक्ष माना गया है. ऐसा मानते हैं, कि बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु, महेश और सावित्री भी निवास करते हैं.

2- प्रलय के अंत में भगवान कृष्ण भी इसी वृक्ष के पत्ते पर प्रकट हुए थे.

3- तुलसीदास ने अपनी रचनाओं में वट वृक्ष को तीर्थराज का छत्र कहा है.

4- ये वृक्ष न केवल हिंदू मान्यताओं में पवित्र है, बल्कि ये दीर्घायु वाला भी है. इसलिए लंबी आयु शक्ति और धार्मिक महत्व को ध्यान में रखकर इस वृक्ष की पूजा की जाती है.

वट सावित्री पूजा विधि

वट सावित्री व्रत को करने के लिए प्रात काल स्नान कर वट वृक्ष के नीचे सावित्री, सत्यवान और यमराज की मूर्ति स्थापित करें. यदि आप मूर्ति नहीं रख पाते, तो आप इनकी पूजा मानसिक रूप से भी कर सकते हैं. वट वृक्ष की जड़ में जल डालें, फूल, धूप और मिठाई से वट वृक्ष की पूजा करें. कच्चा सूत लेकर वट वृक्ष की परिक्रमा करते हुए इसके तने में सूत लपेटते जाएं. सात बात परिक्रमा करना अच्छा माना जाता है. इसके अलावा हाथ में भीगा चना लेकर सावित्री-सत्यवान की कथा सुनें, फिर ये भीगा चना, कुछ धन और वस्त्र अपनी सास को देखकर उनसे आशीर्वाद लें. वट वृक्ष की कोपल खाकर उपवास समाप्त कर सकते हैं.

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वट वृक्ष में क्यों लपेटते हैं कच्चा सूत

सुहागिन महिलाएं वट सावित्री व्रत में वट वृक्ष पर 7 बार सूत लपेटती हैं. वट वृक्ष पर सूत लपेटने का अर्थ है कि पति से उनका संबंध सात जन्मों तक बना रहे. इसके अलावा वट वृक्ष में अनेक औषधीय तत्व मौजूद होते हैं. वट वृक्ष का पर्व वर्षा ऋतु आरंभ होने के पहले मनाया जाता है. वट वृक्ष की कली में मौजूद औषधीय तत्व सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं.

Tags: Dharma Aastha, Religion, Vat Savitri Vrat

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