Monday, July 8, 2024
Google search engine
HomeNationalवामपंथियों ने इतिहास को विकृत किया, फिर से लिखने की जरूरत- असम...

वामपंथियों ने इतिहास को विकृत किया, फिर से लिखने की जरूरत- असम के CM हिमंत बिस्व सरमा


हाइलाइट्स

सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने वामपंथी इतिहासकारों को जमकर लताड़ा
कहा- भारत को पराजित जाति के रूप में दिखाना चाहते हैं इतिहासकार
छात्र प्रेरणा लेकर लिखें देश का गौरवशाली इतिहास, दुनिया को बताएं सच

गुवाहाटी. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने वामपंथी इतिहासकारों पर भारतीय इतिहास को पराजय और समर्पण की कहानी बताकर उसे ‘विकृत’ करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि देश की विजयगाथा को दर्ज करने के लिए इतिहास फिर से लिखा जाना चाहिए. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वामपंथी विचारधारा के लोग दशकों तक राज्य को भाषायी आधार पर विभाजित करने की कोशिश करते रहे हैं. लोगों को अपनी धार्मिक समानताएं अपनाकर ऐसी कोशिशों को हराना चाहिए.

यहां अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के 28वें राज्य सम्मेलन को संबोधित करते हुए सरमा ने कहा, ‘‘वामपंथियों ने हमेशा हमारे इतिहास को विकृत करने की कोशिश की है, क्योंकि वह भारत को पराजित ‘जाति’ के रूप में दिखाना चाहते हैं.’’उन्होंने उन राजाओं और नायकों को नजरअंदाज किया जिन्होंने विरोध किया. जिन्होंने मुगल हमलों को सफलतापूर्वक शिकस्त दी. वामपंथियों ने केवल उनके बारे में लिखा जो पराजित हुए थे.’’

इतिहास के छात्र लिखें गौरव की कहानी
उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह, छत्रपति शिवाजी, दुर्गा दास राठौड़ और लंचित बोरफुकान के उदाहरण दिए, जिन्होंने मुगल सेनाओं के खिलाफ सफल अभियान चलाया. उन्होंने आरोप लगाया कि वामपंथी इतिहासकारों ने इतिहास लिखते समय उनके कारनामों को छोड़ दिया. सीएम सरमा ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि इतिहास को नए सिरे से लिखा जाए. उन्होंने कहा, ‘‘हमें इतिहास के छात्रों को इसे फिर से लिखने के लिए प्रेरित करना चाहिए, जो पराजय और गुलामी की कहानी न हो, बल्कि गौरव और उपलब्धि की कहानी हो. इससे हमारी नई पीढ़ी को देश निर्माण की ओर बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी.’’

वामपंथी बुद्धिजीवियों ने समाज को बांटा
सरमा ने वामपंथी बुद्धिजीवियों पर असम के लोगों को भाषायी आधार पर बांटने का भी आरोप लगाया. क्योंकि, राज्य में कई भाषाएं बोली जाती हैं. उन्होंने कहा कि भाषा एक महत्वपूर्ण तत्व है लेकिन यह किसी समुदाय और धर्म की इकलौती पहचान नहीं हो सकती. इतिहास भी समान रूप से अहम भूमिकाएं निभाता है. उन्होंने कहा, ‘‘भाषा तभी जीवित रहेगी जब हमारा धर्म और संस्कृति जीवित रहेगी.’’ उन्होंने असमी भाषी वक्ताओं से राज्य की अन्य भाषाओं को अपनाने तथा यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि सभी जनजातियों और समुदायों को समान महत्व मिले.

सरमा ने दिया आत्मनिर्भरता पर जोर
मुख्यमंत्री ने आर्थिक आत्म-निर्भरता की आवश्यकता पर भी जोर दिया और युवाओं से कौशल विकास, उद्यमशीलता तथा कृषि पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा, ‘‘एक समुदाय को सांस्कृतिक पहचान और राजनीतिक गौरव की आवश्यकता होती है. लेकिन, अगर हम आर्थिक रूप से प्रगति नहीं करते हैं तो हम ‘आत्म निर्भर’ नहीं बन सकते, जिस पर हमारे प्रधानमंत्री ने बहुत जोर दिया है.’’

हमारे सामने कई चुनौतियां- सीएम सरमा
उन्होंने युवाओं से खेती का बीड़ा उठाने तथा अपनी जमीन खेती के लिए दूसरों को न देने का भी अनुरोध किया. उन्होंने दावा कि गलत तरीके से यह धारणा बनाई गई कि असम और पूर्वोत्तर ऐतिहासिक रूप से भारत के शेष हिस्से से जुड़ा हुआ नहीं है, जिसने आजादी के बाद देश के इस हिस्से में ‘‘विचारों की एक अलग धारा’’ को जन्म दिया. हम अब असम में विशेष भौगोलिक और राजनीतिक चरण में है. हमारे सामने कई चुनौतियां हैं और हमें इतिहास की सही समझ के साथ इनसे निपटना होगा.

Tags: Assam news, Himanta biswa sarma, National News



Source link

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments