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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने ऐसे विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ सहयोगात्मक व्यवस्था से डिग्री प्रदान करने वाली एडटेक कंपनी और महाविद्यालयों को चेतावनी दी है, जो उससे मान्यता प्राप्त नहीं हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। यूजीसी ने दोहराया है कि ये डिग्री अमान्य होंगी और उसने छात्रों को सतर्क किया है कि वे इस प्रकार के पाठ्यक्रमों के लिए दाखिला नहीं लें। यूजीसी के सचिव मनीष जोशी ने कहा ”यह पाया गया है कि कई उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) और महाविद्यालयों ने विदेश के ऐसे शिक्षण संस्थाओं के साथ सहयोग संबंधी समझौते किए हैं जो आयोग से मान्यता प्राप्त नहीं है और ये एचईआई एवं महाविद्यालय छात्रों को विदेश की डिग्री जारी किए जाने की व्यवस्था कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ”इस तरह के किसी भी प्रकार के सहयोग या व्यवस्था को यूजीसी से मान्यता प्राप्त नहीं है और तदनुसार, ऐसी सहयोगात्मक व्यवस्था के बाद जारी की गई डिग्रियां भी आयोग से मान्यता प्राप्त नहीं हैं।” जोशी ने कहा कि यूजीसी के संज्ञान में यह भी आया है कि कुछ एडटेक कंपनियां कुछ विदेशी विश्वविद्यालयों और संस्थानों के साथ मिलकर ऑनलाइन डिग्री और डिप्लोमा कार्यक्रम पेश करने को लेकर समाचार पत्रों, सोशल मीडिया और टेलीविजन के जरिए विज्ञापन दे रही हैं। जोशी ने कहा, ”ऐसी फ्रेंचाइजी व्यवस्था की अनुमति नहीं है और ऐसे किसी भी कार्यक्रम या डिग्री को यूजीसी की मान्यता नहीं होगी। ऐसे मामलों में दोषी सभी एडटेक कंपनियों के अलावा एचईआई के खिलाफ भी लागू नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने कहा, ”छात्रों और आम जनता को सलाह दी जाती है कि वे उचित सावधानी बरतें और वे ऐसे पाठ्यक्रमों के लिए पंजीकरण अपने जोखिम पर कराएं।”
हाल में यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग विरुद्ध निर्देशों को लागू करने को लेकर संबंधित संस्थानों से आग्रह किया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कहा है कि रैगिंग और आत्महत्या जैसे मामलों में कॉलेज के प्रिंसिपल या विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रेशन को जवाबदेही होगी। राष्ट्रीय एंटी रैगिंग मॉनिटरिंग समिति के समक्ष इन्हीं अधिकारियों को पेश होना होगा। एनसीआरबी के आंकड़ो के अनुसार पिछले साल 2022 में आत्महत्या के एक लाख 70 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं जिनमें 1.2 फीसदी मामले परीक्षा में असफल होने से जुड़े हैं।
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