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पवार के अध्यक्ष पद पर रहते हुए अगर अजित पवार पार्टी तोड़ते तो इससे पार्टी पर उनकी पकड़ पर सवाल उठते। विपक्षी खेमे में भी उनका दबदबा कमजोर होता। लिहाजा उन्होंने पहले ही इस्तीफे की पेशकश कर दी।
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