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दिल्ली से करीब 1000 किमी दूर बिहार की राजधानी पटना में आज विपक्षी दलों का महाजुटान हो रहा है। वहीं, भारत राष्ट्र समिति के कार्यकारी अध्यक्ष और तेलंगाना के उद्योग और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री केटी रामा राव शुक्रवार को गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित विभिन्न केंद्रीय मंत्रियों से मिलने के लिए दिल्ली रवाना हुए हैं। यहां वह दो दिनों तक रहेंगे। आपको बता दें कि अमित शाह से पहली बार उनकी मुलाकात होने वाली है।
केटीआर आखिरी बार जून 2022 में दिल्ली आए थे। उस समय उन्होंने केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी से मुलाकात की थी। उसके बाद से केटीआर और उनके पिता मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव तेलंगाना के साथ कथित तौर पर सौतेला व्यवहार करने के लिए केंद्र पर हमला कर रहे हैं।
इस सियासी घटनाक्रम से परिचित बीआरएस नेता ने कहा कि केटीआर की दिल्ली यात्रा सिर्फ और सिर्फ तेलंगाना से जुड़े प्रोजेक्ट में हो रही देरी को लेकर हैं। इसका राजनीति निहितार्थ नहीं है। हालांकि, यात्रा के समय ने सियासी माहौल को गरमा दिया है। ऐसा इसलिए कि, आज ही भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लड़ने की रणनीति बनाने के लिए विभिन्न विपक्षी दल पटना में जुटने वाले हैं।
केसीआर को पटना में विपक्षी नेताओं की बैठक के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था। जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने बुधवार को कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भगवा पार्टी के खिलाफ उनकी लड़ाई को लेकर बीआरएस अध्यक्ष की तरफ से कोई स्पष्टत संकेत नहीं मिले हैं।
वहीं, बीआरएस नेता नेता ने कहा कि केटीआर केंद्रीय मंत्रियों के साथ अपनी बैठक के दौरान राजनीति पर चर्चा नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, “बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केंद्र के साथ केवल फ्लाईओवर और स्काईवे के निर्माण के लिए सिकंदराबाद छावनी में रक्षा भूमि के आवंटन, रसूलपुरा में सड़क के विस्तार के लिए गृह मंत्रालय की भूमि के आवंटन, वारंगल के ममनूर में हवाई अड्डे के विकास जैसे मुद्दों को उठाएंगे। मेट्रो रेल नेटवर्क को लेकर भी चर्चा होगी।”
वहीं, तेलंगाना भाजपा अध्यक्ष बंदी संजय ने कहा कि तेलंगाना में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले तेलंगाना से संबंधित विकास कार्यों को आगे बढ़ाने के नाम पर केंद्रीय मंत्रियों, विशेषकर अमित शाह से मिलने के लिए केटीआर की दिल्ली यात्रा के पीछे एक साजिश है। उन्होंने कहा, “यह ऐसा प्रतीत होता है कि केटीआर केंद्र में भाजपा सरकार पर दोष मढ़ना चाहते हैं। वह यह प्रचार करना चाहते हैं कि केंद्र राज्य के विकास कार्यक्रमों में सहयोग नहीं कर रहा है।”