
Repeated Mistakes: आपने देखा होगा कि रोज सिगरेट पीने वाले लोग जब बीमार पड़ते हैं तो धूमपान से तौबा करने की बातें करते होंगे. ऐसे लोग भी देखें होंगे, जो ज्यादा शराब का सेवन करने के बाद हैंगओवर होने पर कहते होंगे कि अब कभी शराब नहीं पीएंगे. लेकिन, वे ठीक होने पर फिर सिगरेट या शराब पीना शुरू कर देते होंगे. वहीं, जुआ खेलने वाले लोगों को हर बार मोटी रकम हारने के बाद कभी नहीं खेलने की कसमें खाते देखा होगा, लेकिन वे फिर खेलते हैं. वैज्ञानिकों ने पता लगा लिया है कि इंसान नुकसान के बाद भी एक ही गलती को बार-बार क्यों दोहराते हैं? वैज्ञानिकों ने पता करने की कोशिश की है कि किसी काम के नुकसान जानते हुए भी लोग उसे क्यों करते हैं?
मनोवैज्ञानिकों की टीम ने शोध किया कि लोग हानिकारक व्यवहार को दोहराते क्यों हैं? प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में छपा ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी और वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के शोध की रिपोर्ट के मुताबिक, बार-बार गलतियां करने वालों में खुद को बदलने की इच्छा कम नहीं होती है. दरअसल, ऐसे लोग अपने अनुभवों से सीखी गई बातों का सही कारण सही से नहीं समझ पाते हैं. इसीलिए एक ही गलती को बार-बार दोहराते हैं. मनोवैज्ञानिकों के दल ने इस शोध के लिए एक खास वीडियो गेम का सहारा लिया.
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मायावी ग्रहों पर आधारित था वीडियो गेम
वैज्ञानिकों ने कुछ युवाओं को एक वीडियो गेम खेलने के लिए दिया, जो ब्रह्मांड के अलग-अलग मायावी ग्रहों पर आधारित था. शोध में शामिल युवाओं को वीडियो गेम में दिए गए दो ग्रहों पर क्लिक करना था. इसके एवज में उन्हें कुछ अंक मिलते थे. यही नहीं, कुल अंकों के आधार पर उन्हें पैसे मिलते थे. वैज्ञानिकों ने युवाओं को यह नहीं बताया था कि जब भी वे किसी ग्रह पर क्लिक करेंगे तो कुछ नए अंतरिक्ष यान आ जाएंगे. ये अंतरिक्ष यान उनके अंक चुरा सकते थे. वहीं, दूसरे ग्रह पर क्लिक करने पर आने वाले स्पेसशिप उनके अंकों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे.
शोध में पाया गया कि कुछ लोग समझाने पर गलती दोहराना बंद कर देते हैं. वहीं, कुछ कभी नहीं समझ पाते हैं.
वैज्ञानिकों ने किसे दिया ‘सेंस्टिव’ नाम?
शोध के दौरान वीडियो गेम में शानदार प्रदर्शन करने वाले युवाओं को वैज्ञानिकों ने ‘सेंस्टिव’ नाम दिया. दरअसल, अच्छा प्रदर्शन करने वाले युवाओं ने ग्रह और उस पर क्लिक करने से आने वाले उन अंतरिक्ष यानों के संबंध को समझ लिया था, जो उनके अंक चुरा रहे थे. ये संबंध समझने के बाद उन्होंने अपने व्यवहार में बदलाव कर लिया. इसके बाद उन्होंने उस ग्रह पर क्लिक ही नहीं किया. इससे उनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा.
खराब प्रदर्शन वालों को क्या नाम दिया?
वैज्ञानिकों ने शोध के दौरान पाया कि कुछ युवा बार-बार वीडियो गेम खेलने के बाद भी अंक चुराने वाले अंतरिक्ष यानों और ग्रह के बीच का संबंध नहीं समझ पाए. ऐसे में वे बार-बार नुकसान उठाने के बाद भी बुरे ग्रह पर क्लिक कर रहे थे. इस पर मनोविज्ञानियों ने उन्हें बुरे ग्रह और अंक चुराने वाले स्पेसशिप के बीच का संबंध समझाया. इसके बाद उन्होंने उस ग्रह पर क्लिक नहीं किया. वहीं, कुछ युवा ऐसे भी थे, जिन्होंने संबंध बताए जाने के बाद भी वे बुरे ग्रह पर क्लिक करना बंद नहीं किया. ऐसे युवाओं को वैज्ञानिकों ने ‘कंपल्सिव’ नाम दिया था.
‘असल में ज्यादा लचीले होते हैं लोग’
शोध का नेतृत्व करने वाले डॉ. फिलिप ज्याँ रिचर्ड डिट ब्रेसेल ने कहा कि बहुत से लोग अपने व्यवहार का असर समझाने के बाद भी नहीं समझ पाते हैं. इससे उनके प्रदर्शन में सुधार नहीं हो पाता है. हालांकि, शोध में ये भी पता चला कि कुछ लोगों को अगर सही समय पर उनके व्यवहार का असर समझा दिया जाए तो वे अपने व्यवहार में बदलाव कर प्रदर्शन में सुधार कर लेते हैं. शोध में शामिल बिहेवियरल न्यूरोसाइंटिस्ट प्रोफेसर गैवन मैकनैली के मुताबिक, असल जिंदगी में लोग इससे ज्यादा लचीले होते हैं. हमारा शोध ये बताता है कि ऐसे हालात के दौरान दिमाग में क्या चल रहा है?

वैज्ञानिकों के मुताबिक, नशे और जुए की आदत छोड़ने में लोगों को सबसे ज्यादा मुश्किल आती है.
इन आदतों को नहीं बदल पाते लोग
शोध के मुताबिक, दो आदतें ऐसी हैं, जिन्हें लोग सबकुछ जानते हुए और समझाने के बाद भी नहीं बदल पाते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक, नशा और जुए की बुरी आदत छोड़ने में लोगों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. दरअसल, दोनों आदतों से ग्रस्त लोग अपने कामों को बाकी लोगों के मुकाबले ऊपर मानते हें. लिहाजा, नुकसान के बाद भी उसे दोहराते रहते हैं. वहीं, शोध में पाया गया कि उनकी आदत उनके नियंत्रण से बाहर हो चुकी होती है. ऐसे में वे उसे दोहराते जाते हैं. ऐसे लोग अपनी बुरी आदतों से सिर्फ गलत चीजें ही सीखते हैं.
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Tags: New Study, Research, Science facts, Science news
FIRST PUBLISHED : April 29, 2023, 14:47 IST