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अयोध्या के नए राम मंदिर में वसंत पंचमी के पर्व पर बुधवार को पहली बार वसंतोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस मौके पर रामलला को जहां पीताम्बरी धारण कराकर उन्हें चार अलग-अलग रंगों पीला-लाल व हरा-गुलाबी अबीर-गुलाल चढ़ाने के अलावा उनके गालों पर भी मला गया। इस दौरान पुजारियों व व्यवस्थापकों ने भी अबीर-गुलाल के साथ होली खेली। इस उत्सव के दौरान रामलला को विशेष पकवानों का प्रसाद भोग भी लगाया गया। इसके साथ पुजारियों ने फगुआ गान भी आराध्य के चरणों में निवेदित किया। इसके साथ ही पहली बार उनके आभूषणों को भी बदल दिया गया है।
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इसके पहले भगवान के शृंगार के समय प्राण-प्रतिष्ठा में धारण कराए गए अधिकांश भारी आभूषणों को भी बदल दिया गया। भगवान रामलला के आभूषणों में स्वर्ण मुकुट व कौस्तुभ मणि माला के अतिरिक्त गला बंद को बदल कर नया व थोड़ा हल्का आभूषण धारण कराया गया। इसके साथ ही शेष सभी आभूषणों का दूसरा सेट भी धारण कराया गया।
इसी तरह विराजमान रामलला के साथ ही भरत, शत्रुघ्न व लक्ष्मण जी को भी नवीन पीताम्बरी के साथ नवीन मुकुट धारण कराया गया। भारी पुष्प माला के बजाय इलायची की माला के साथ रंगीन वेलवेट कपड़े की नवीन माला धारण कराई गई। रामलला के सहायक अर्चक पं अशोक कुमार उपाध्याय ने बताया कि वसंत पंचमी से ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत माना गया है इसलिए भगवान को भी भारी आभूषणों के बजाय थोड़ा हल्के आभूषण धारण कराए गये है।
हनुमानगढ़ी समेत सभी वैष्णव मंदिरों में भी मनाया गया वसंतोत्सव
बुधवार को हनुमानगढ़ी समेत सभी वैष्णव मंदिरों में भी वसंतोत्सव का आयोजन किया गया। हनुमानगढ़ी ने भगवान का विशेष श्रृंगार कर उनकी आरती उतारी और अबीर-गुलाल चढ़ाकर पुनः नागा संतों ने भी एक- दूसरे संग होली खेली। इसके साथ ही मध्याह्न में विराजमान भगवान को विशेष व्यंजनों का भोग लगाकर प्रसाद का वितरण किया गया। वहीं सायंकाल फगुआ गायन का क्रम भी शुरू हो गया।