Monday, July 8, 2024
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शहरी बेरोजगारी पांच साल में सबसे निचले स्तर पर आई, NSSO की सर्वे रिपोर्ट


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भारत में शहरी बेरोजगारी का आंकड़ा पांच साल के सबसे निचले स्तर पर आ गया है। शहरी क्षेत्रों में 15 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों में बेरोजगारी दर इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में घटकर 6.8 प्रतिशत रह गई है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन कार्यालय (एनएसएसओ) के आंकड़ों के अनुसार एक साल पहले इसी तिमाही में यह 8.2 प्रतिशत थी। 

     

बेरोजगारी दर पिछले साल जनवरी-मार्च तिमाही में सबसे ज्यादा थी। इसका मुख्य कारण देश में कोविड संबंधित बाधाएं थी। सर्वेक्षण के अनुसार, बेरोजगारी दर पिछले साल जुलाई-सितंबर और अक्टूबर-दिसंबर में 7.2 प्रतिशत थी। वहीं अप्रैल-जून, 2022 में यह 7.6 प्रतिशत थी।

     

निश्चित अवधि पर होने वाले 18वें श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के अनुसार शहरी क्षेत्रों में 15 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों में बेरोजगारी दर अप्रैल- जून, 2022 में 7.6 प्रतिशत थी।  आंकड़ों से पता चलता है कि शहरी क्षेत्रों में महिलाओं (15 साल और उससे अधिक) में बेरोजगारी दर जनवरी-मार्च, 2023 में घटकर 9.2 प्रतिशत पर आ गयी जो एक साल पहले इसी तिमाही में 10.1 प्रतिशत थी। 

     

वहीं पुरुषों में शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर इस साल पहली तिमाही में कम होकर छह प्रतिशत रही जो एक साल पहले 2022 की जनवरी-मार्च तिमाही में 7.7 प्रतिशत थी।

वित्तीय वर्ष 2022-23 की मार्च तिमाही में शहरी नौकरियों के लिए एकमात्र अच्छी तिमाही नहीं रही बल्कि सभी तिमाहियों के लिए शहरी बेरोजगारी दर 2018-19 के बाद से  2022-23 में सबसे कम रही। नौकरियों में यह सकारात्मक रुझान इसलिए नहीं आया कि कम लोग नौकरी की तलाश कर रहे थे बल्कि

काम करने वाले या नौकरी की तलाश करने वाले लोगों की हिस्सेदारी – जिसे श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) कहा जाता है – सभी तिमाहियों के लिए 2022-23 में सबसे अधिक रही।

इसका मतलब यह है कि 2022-23 में भारत की शहरी आबादी के रिकॉर्ड अनुपात में नौकरी मांगी और उन्हें नौकरी मिला। मार्च तिमाही में, LFPR 38.1% था, जो शहरी बुलेटिन श्रृंखला में सबसे अधिक था।



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