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Marriage and Dementia Link: शादी को लेकर नई रिसर्च सामने आती रहती हैं, जिनमें चौंकाने वाली बातों का खुलासा होता है. एक रिसर्च में पता चला है कि शादी करने से डिमेंशिया का खतरा बढ़ सकता है.
नई स्टडी के मुताबिक शादीशुदा लोगों को डिमेंशिया का खतरा ज्यादा होता है.
हाइलाइट्स
- शादीशुदा लोगों में डिमेंशिया का खतरा अधिक हो सकता है.
- अनमैरिड लोगों में डिमेंशिया का खतरा 40% कम पाया गया.
- शादीशुदा जीवन में तनाव मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है.
Marriage and Dementia Study: शादियों का सीजन चल रहा है और बड़ी संख्या में लोग अपने जीवनसाथी के साथ नई जिंदगी की शुरुआत कर रहे हैं. शादी के बाद लोगों के गृहस्थ जीवन की शुरुआत हो जाती है. शादी को कई मायनों में लोगों के लिए फायदेमंद माना जाता है. कई रिसर्च में माना गया है कि शादीशुदा लोगों का स्वास्थ्य अनमैरिड लोगों के मुकाबले ज्यादा बेहतर होता है. अब एक स्टडी में पता चला है कि शादीशुदा लोगों को ब्रेन से जुड़ी खतरनाक बीमारी डिमेंशिया का खतरा अनमैरिड लोगों के मुकाबले ज्यादा होता है. इस रिसर्च में कई ऐसी बातें सामने आई हैं, जिन्हें जानकर दिमाग चकरा जाएगा.
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में हुई एक हालिया रिसर्च में दावा किया गया है कि शादीशुदा लोगों में डिमेंशिया का खतरा ज्यादा हो सकता है. फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता सेलिन कराकोस और उनकी टीम ने इस अध्ययन में 24,000 से अधिक अमेरिकी नागरिकों को 18 वर्षों तक ट्रैक किया. इस स्टडी में शामिल लोगों की औसत उम्र 72 वर्ष थी और उन्हें 4 ग्रुप में बांटा गया. पहला ग्रुप शादीशुदा, दूसरा ग्रुप विधवा, तीसरा ग्रुप तलाकशुदा और चौथा ग्रुप अनमैरिड लोगों का था. जब शोधकर्ताओं ने इनके डाटा का विश्लेषण किया तो परिणाम बेहद चौंकाने वाले थे. शादीशुदा लोगों में डिमेंशिया का खतरा अन्य सभी समूहों की तुलना में ज्यादा था.
इस स्टडी के अनुसार जिन लोगों ने कभी शादी नहीं की, उनमें डिमेंशिया होने का खतरा अन्य ग्रुप्स के मुकाबले 40% कम था. तलाकशुदा लोगों में 34% और विधवा लोगों में 27% कम जोखिम पाया गया. जबकि मैरिड लोगों में इसका रिस्क सबसे ज्यादा था. यह आंकड़े उम्र और जेंडर को ध्यान में रखते हुए निकाले गए. यह स्टडी पिछली रिसर्च के बिल्कुल उलट है. इससे पहले कई स्टडी में दावा किया गया था कि शादी से लोगों को इमोशनल सपोर्ट मिलता है और डिमेंशिया का रिस्क कम होता है. हालांकि इस स्टडी में नतीजे चौंकाने वाले आए हैं.
अब तक यह माना जाता रहा है कि शादीशुदा जीवन लोगों को इमोशनल सपोर्ट मिलता है और वे सोसाइटी से जुड़े रहते हैं. इसके अलावा शादीशुदा लोगों की लाइफस्टाइल बेहतर होती है, जिसके कारण मेंटल डिजीज से बचाव होता है. शादीशुदा लोग अक्सर बेहतर इम्यून सिस्टम, कम तनाव और नियमित जीवनचर्या का अनुभव करते हैं, जिससे उनकी मानसिक सेहत बेहतर रहती है. हालांकि नई स्टडी ने इन सभी दावों पर सवालिया निशान लगा दिए हैं. शोधकर्ताओं की मानें तो शादीशुदा जीवन में कुछ छिपे हुए तनाव या लिमिटेशंस लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को बुपी तरह प्रभावित कर सकती हैं.
इस स्टडी में साफतौर पर यह नहीं बताया गया कि शादीशुदा लोगों में डिमेंशिया का खतरा अधिक क्यों होता है, लेकिन कुछ संभावनाएं बताई गई हैं. हो सकता है कि शादीशुदा लोग अपनी सामाजिक नेटवर्किंग में सीमित हो जाते हैं और स्वयं पर कम निर्भर रहते हैं. साथ ही पार्टनर की देखभाल की जिम्मेदारियां और वैवाहिक जीवन में तनाव भी ब्रेन पर बुरा असर डालता है. इसके अलावा यह भी संभव है कि अनमैरिड लोग अपनी जांच कम करवाते हों, जिससे उन्हें डिमेंशिया का पता ही न लगता हो.