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महाराष्ट्र की सरकार में जब से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अजित पवार की एंट्री हुई है, जब से महाराष्ट्र में नए सियासी समीकरण की चर्चा होने लगी है। सरकार में शामिल भाजपा के साथ तो उनके संबंध सहज दिख रहे, लेकिन मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के साथ उनके संबंध तल्ख हो रहे हैं। बुधवार को कैबिनेट की बैठक में इसकी बानगी देखने को मिली। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सत्तारूढ़ गठबंधन में विभिन्न दलों के मंत्रियों के बीच अंदरूनी कलह पर नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने मंत्रियों से कहा कि वे अधिक समन्वय के साथ और एक टीम के रूप में काम करें।
एक महीना पहले शिंदे सेना, भाजपा और एनसीपी (अजित पवार) का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायकों और सांसदों की एक संयुक्त बैठक में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र के लिए समन्वय समितियां गठित करने का निर्णय लिया गया था। इसमें प्रत्येक समिति में सभी का एक प्रतिनिधि होगा। लेकिन, पार्टी के नेताओं और मंत्रियों के बीच मतभेद एक वास्तविकता बनी हुई है। एकनाथ शिंदे और अजीत पवार बार-बार दिल्ली में भाजपा के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं।
अक्टूबर में शिंदे ने 48 घंटे के भीतर दो बार दिल्ली का दौरा किया था। बीते शुक्रवार को अजित पवार ने गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में मिलने का समय मांगा। वहीं, तीनों पार्टियां चल रहे मराठा आरक्षण आंदोलन की काट ढूंढ रही है। इस बीच अजित पवार के सहयोगी छगन भुजबल ने ओबीसी श्रेणी के भीतर मराठों को आरक्षण देने के खिलाफ अपनी ही सरकार को चेतावनी जारी की है।
भुजबल ने कहा, “मराठों के लिए कुनबी प्रमाण पत्र को सरकार की मंजूरी उन्हें ओबीसी कोटा के भीतर पिछले दरवाजे से प्रवेश प्रदान करने की एक चाल है।” उन्होंने चेतावनी दी कि इसे आगे बढ़ाने के किसी भी प्रयास के परिणामस्वरूप ओबीसी सड़कों पर उतर आएंगे। शिंदे सेना के मंत्री संभुराज देसाई ने पलटवार करते हुए कहा कि भुजबल की भड़काऊ टिप्पणी गठबंधन सरकार के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।
सरकार के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि राज्य प्रशासन और राजनीतिक क्षेत्र दोनों में शिंदे की बढ़ती दावेदारी एनसीपी (अजीत) को रास नहीं आ रही है। सभी पार्टियों के स्थापित मराठा नेता ओबीसी कोटा के भीतर मराठों के लिए आरक्षण के पक्ष में नहीं हैं। बल्कि वे मराठों के लिए अलग कोटा चाहते हैं। शुक्रवार को जब अजित पवार ने अमित शाह से मुलाकात की तो जिन मुद्दों पर चर्चा हुई उनमें मराठा कोटा भी शामिल था। पता चला है कि डिप्टी सीएम चाहते हैं कि केंद्र हस्तक्षेप करे और इस मुद्दे को जल्द से जल्द सुलझाए।
सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन के तीन घटक दलों में से एनसीपी गुट के नेता अजित पवार सबसे ज्यादा बेचैन नजर आ रहे हैं। शुरू में ऐसा नहीं था। सरकार में शामिल होने के एक महीने के भीतर अजित पवार ने इतने उत्साह के साथ प्रशासनिक कार्य करना शुरू कर दिया कि कई लोग उन्हें सुपर सीएम कहने लगे। लेकिन फिर सरकार (मतलब सीएम शिंदे) ने एक आदेश जारी किया, जिसमें सभी फाइलों को सीएमओ के माध्यम से भेजा जाना अनिवार्य कर दिया गया।
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