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शिक्षामंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा है कि स्थानीय निकाय के नियोजित शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा के आधार पर विशिष्ट शिक्षक बनने के बाद पोस्टिंग के लिए तीन जिलों के विकल्प का प्रावधान किया गया है। इन शिक्षकों को 3 बार ऑनलाइन और 2 बार ऑफलाइन परीक्षा देनी होगी। पांच में किसी एक परीक्षा में पास करने पर विशिष्ट शिक्षक का दर्जा मिल जाएगा। शुक्रवार को विधान परिषद में शिक्षामंत्री भाजपा के नवल किशोर यादव, जीवन कुमार और राजीव कुमार के अल्पसूचित प्रश्न के उत्तर दे रहे थे। प्रश्नकर्ता ने कहा कि शिक्षकों को बहुत दूर स्कूल में भेजने से बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ेगा। विशिष्ट शिक्षक का नियोजक शिक्षा विभाग होगा। विशिष्ट शिक्षक का जिला कैडर है। मंत्री ने स्पष्ट किया कि पदस्थापन के बाद शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए सरकार की नियमावली इन पर लागू होगी। भाजपा के प्रमोद कुमार के तारांकित प्रश्न के उत्तर में शिक्षा मंत्री ने कहा कि बीपीएससी से चयनित शिक्षक और शिक्षिकाओं को तीन जिला के ऑप्शन के मुताबिक मेधा सूची के आधार पर पदस्थापन किया गया है। भविष्य में नियमावली के आधार पर स्थानांतरण का मौका मिलेगा।
नियमित नियुक्ति तक अतिथि शिक्षक सेवा में रहेंगे:
जदयू के संजीव कुमार सिंह और राजवर्धन आजाद के अल्पसूचित प्रश्न के उत्तर में शिक्षा मंत्री ने कहा कि वैकल्पिक व्यवस्था के तहत नियमित नियुक्ति होने तक अतिथि शिक्षक की सेवा लेने का प्रावधान है। हाईस्कूल और विश्वविद्यालय दोनों में ही अतिथि शिक्षक की यही व्यवस्था है। नियमित शिक्षक नियुक्ति के प्रावधान के अनुसार अतिथि शिक्षक भी शामिल हो सकते हैं।
विद्यालय शिक्षा समिति में नौ महिलाएं भी होंगी:
जदयू के वीरेंद्र नारायण यादव के तारांकित प्रश्न के उत्तर में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि 17 सदस्यीय विद्यालय शिक्षा समिति में 9 महिलाओं का प्रावधान है। इसमें 2 अत्यंत पिछड़ा वर्ग, 2 एससी, 2 सामान्य वर्ग और 2 निशक्त कोटा है। उन्होंने सावित्री बाई फूले के नाम पर प्रखंड और जिला स्तर पर जिले में प्रथम 10 स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं की माताओं को पुरस्कृत करने की कोई योजना नहीं है।
अन्य संस्कृत शोध संस्थान की स्थापना का प्रस्ताव नहीं:
विधानसभा में प्रभारी मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि संस्कृत के संरक्षण, संवर्द्धन और नयी पीढ़ियों में इसकी जानकारी प्रचारित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा पूर्व से ही मिथिला संस्कृत स्नातकोत्तर अध्ययन एवं शोध संस्थान, दरभंगा की स्थापना 1951 में की गई है। इसमें स्थापना काल से ही एमए संस्कृत, बीएचडी और डीलिट की उपाधियां दी जाती हैं। अभी राज्य सरकार के पास अन्य संस्कृत शोध संस्थान की स्थापना का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।