हाइलाइट्स
डायबेटिक मरीजों में से करीब 50 प्रतिशत को डायबेटिक न्यूरोपैथी से जूझना पड़ता है.
अगर पैर में इंफेक्शन हो जाए या फोड़े, छाले दवाई से भी ठीक न हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
Symptoms of Diabetic neuropathy: डायबिटीज पूरी दुनिया के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक विश्व में 42.2 करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं. इसके साथ ही करीब 15 लाख लोगों की मौत हर साल प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से डायबिटीज के कारण होती है. पर इससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि विश्व में कुल डायबिटीज मरीजों में 17 प्रतिशत मरीज भारत से हैं. यानी भारत में 8 करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज से पीड़ित है. आंकड़ों के मुताबिक भारत में 2045 तक 13.5 करोड़ लोग डायबेटिक होंगे. इसलिए भारत को डायबेटिक कैपिटल ऑफ वर्ल्ड कहा जाने लगा. डायबिटीज इतना खतरनाक है कि जब ब्लड शुगर लेवल हाई हो जाता है तो शरीर की नसें भी फटने लगती है.
डायबिटीज के मरीजों में जब नसें डैमेज होने लगती है तब उसे डायबेटिक न्यूरोपैथी (Diabetic neuropathy) कहते हैं. इसमें डायबेटिक मरीज को शरीर के किसी भी हिस्से में नर्व डैमेज होने लगता है. कुल डायबेटिक मरीजों में से करीब 50 प्रतिशत को डायबेटिक न्यूरोपैथी से जूझना पड़ता है. हालांकि इससे आसानी से बचा जा सकता है.
नर्व डैमेज से पहले शरीर में मिलने लगते हैं ये संकेत
मायो क्लिनिक के मुताबिक चार तरह के डायबेटिक न्यूरोपैथी की बीमारी होती है जिनमें कमोबेश एक ही तरह के लक्षण दिखते हैं. डायबेटिक न्यूरोपैथी के लक्षण सबसे पहले हाथ और पैर की नसों में देखने को मिलता है. इस कारण हाथ और पैर पहले से सुन्न होने लगता है. सबसे पहले हाथ में सुन्नापन आता है. हाई ब्लड शुगर के कारण खून की छोटी-छोटी नलिकाओं की दीवाल कमजोर होने लगती है. इसलिए इसके कहीं भी रिसने का डर रहता है. जिससे ऑक्सीजन और अन्य पोषक तत्वों का अंगों तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है.
कुछ आम लक्षण
- हाथ-पैर में सुन्नपन्न या दर्द का एहसास कम होने लगता है.
- झुनझुनी या जलन महसूस होना.
- तेज दर्द या ऐंठन.
- मांसपेशी में कमज़ोरी.
- कुछ लोगों में छूने पर अत्यधिक संवेदनशीलता, यहां तक कि चादर भी छू जाए तो यह दर्दनाक हो जाता है.
- पैरों में गंभीर समस्याएं, जैसे अल्सर, संक्रमण, फोड़े, छाले, हड्डी और जोड़ों में फ्रेक्चर.
- ऑटोइम्यून न्यूरोपैथी में पेट संबंधी दिक्कतें होने लगती है. खाना निकलने में परेशानी होती है. फिजिकल रिलेशन में भी परेशानी हो सकती है.
- थाई और बैक में बहुत अधिक दर्द होने लगता है.
- मांसपेशियों में बहुत कमजोरी आ जाती है.
- किसी-किसी को देखने में एक ही चीज दो दिखती हैं.
- कुछ व्यक्तियों में पैरालाइसिस भी हो सकता है.
डॉक्टर के पास कब जाए
अगर पैर में इंफेक्शन हो जाए या फोड़े, छाले दवाई से भी ठीक न हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. इसके साथ ही बेहोशी, चक्कर, जलन, कमजोरी और हाथ-पैर में सुन्नापन्न होने से यह समझ जाना चाहिए कि डायबेटिक न्यूरोपैथी का असर है. इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
कैसे करें इसे कंट्रोल
डायबेटिक न्यूरोपैथी यानी नर्व डैमेज न हो, इसके लिए शुगर लेवल को कंट्रोल करना बहुत जरूरी है. हर हाल में तीन महीने वाला शुगर लेवल 7 से ज्यादा न हो. रोज डायबिटीज की दवा लेते रहे और रोजाना एक्सरसाइज करें. खाने में हरी पत्तीदार सब्जियों का सेवन करें. शुगर बढ़ाने वाली चीज जैसे कि तली-भुनी, मीठी चीजों को हाथ भी न लगाएं. हर रोज हाथ-पैर का ख्याल रखें. रोजाना हाथ और पैर को क्लीन कर रखें.
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Tags: Diabetes, Health, Health tips, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : February 01, 2023, 19:23 IST