Home Life Style शेखर कपूर की बीमारी डिस्लेक्सिया से बचना है तो बचपन में ही पहचान जरूरी, बच्चे में ये 7 संकेत दिखें तो तुरंत हो जाएं अलर्ट

शेखर कपूर की बीमारी डिस्लेक्सिया से बचना है तो बचपन में ही पहचान जरूरी, बच्चे में ये 7 संकेत दिखें तो तुरंत हो जाएं अलर्ट

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शेखर कपूर की बीमारी डिस्लेक्सिया से बचना है तो बचपन में ही पहचान जरूरी, बच्चे में ये 7 संकेत दिखें तो तुरंत हो जाएं अलर्ट

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हाइलाइट्स

बच्चे को अगर किसी शब्द को दोहराने कहेंगे तो वह ऐसा करने में असमर्थ हो जाता है या आवाज को पहचानने में कंफ्यूज हो जाता है.
वर्तनी में अंतर नहीं कर पाता और एक तरह की चीजों को भी नहीं बता पाता.

Symptoms of Dyslexia: फिल्ममेकर शेखर गुप्ता ने हाल ही में सोशल मीडिया पर अपने बचपन की बीमारी का खुलासा किया है. उन्होंने कहा, “मै पूरी तरह से गंभीर डिस्लेक्सिया का मरीज हूं और मुझे एटेंशन डेफिसीट डिसॉर्डर है. खुदा का शुक्र है कि जब मैं बड़ा हो रहा था तब मेरे जैसे बच्चों के लिए अलग से स्कूल नहीं था. अगर होता तो मरे अंदर के विद्रोह को दबा दिया जाता. निश्चित रूप से तब कोई फिल्म बनाई गई नहीं होती और रचनात्मकता बाहर नहीं आता. ” शेखर कपूर के इस बयान के बाद लोगों में जिज्ञासाएं हैं कि आखिर यह बीमारी है क्या.

दरअसल, डिस्लेक्सिया सीखने से संबंधित एक विकार है जिसमें बच्चा अक्षर को सही से समझ नहीं पाते और उसे सही से बोल नहीं हो पाते. इसमें पढ़ने और लिखने में दिक्कत होती है. बचपन में अगर इसके लक्षणों को पहचान कर ली जाए तो विशेषज्ञों की मदद से इसे सही किया जा सकता है लेकिन अधिकांश लोगों को इसका पता ही नहीं चलता. अगर इसका इलाज बचपन में नहीं किया जाए तो आगे जाकर कई दिक्कतें हो सकती है.

क्या है डिस्लेक्सिया
मायो क्लिनिक के मुताबिक डिस्लेक्सिया लर्निंग डिसॉर्डर है. इसमें बच्चा आवाज को सुनकर आवाज से निकले शब्द को अलग या डिकोड करने में असमर्थ हो जाता है. इससे पढ़ने और लिखने में दिक्कत होती है. डिस्लेक्सिया में वर्तनी में अंतर करने में दिक्कत होती है और शब्दों को सुनकर उसे डिकोड करने में मुश्किल होती है. डिस्लेक्सिया दिमाग के उस हिस्से में अंतर होने से होता है जहां भाषा को डिकोड किया जाता है. हालांकि इससे बौद्धिक क्षमता पर कोई असर नहीं होता. यह बुद्धिमता, सुनने या देखने में गड़बड़ी के कारण नहीं होता. अधिकांश बच्चे डिस्लेक्सिया के बावजूद स्कूल में आगे बढ़ते हैं. हालांकि अगर ऐसे बच्चों के लिए एक्सपर्ट की व्यवस्था कर दी जाए तो कोई दिक्कत नहीं होती. उन्हें भावनात्मक सपोर्ट की जरूरत होती है.

डिस्लेक्सिया के लक्षण
हालांकि शुरुआत में डिस्लेक्सिया की पहचान नहीं की जा सकती है. जब बच्चा स्कूल में जाता है तब धीरे-धीरे इसकी पहचान की जा सकती है. स्कूल में बच्चे के शिक्षक या मां ही इन लक्षणों को पहचान सकती हैं.
इसका पहला लक्षण यही है कि बच्चा देर से बोलता है.
नए शब्दों को बहुत धीरे से सीखता है.
शब्द को सही से हिज्जे करने में दिक्कत होती है. जैसे अगर किसी शब्द को दोहराने कहेंगे तो वह ऐसा करने में असमर्थ हो जाता है या आवाज को पहचानने में कंफ्यूज हो जाता है.
शब्द, संख्या और रंग को याद रखने में दिक्कत होती है.
नर्सरी से ही राइम को सीखने या राइम गेम खेलने में दिक्कत होती है.
बच्चा जब स्कूल में जाता है तो ये लक्षण स्पष्ट दिखने लगते हैं. तब अपने उम्र से वह कम पढ़ता है.
जो चीजें टीचर बोलते हैं, उसे समझने में दिक्कत होती है.
शही शब्द को खोजने और सवालों का जवाब देने में दिक्कत होती है.
स्पेलिंग में दिक्कत होती है.
वर्तनी में अंतर नहीं कर पाता और एक तरह की चीजों को भी नहीं बता पाता.
किसी भी टास्क को पूरा करने में बहुत अधिक समय लगाना, पढ़ने-लिखने में भी ज्यादा समय लगना.
पढ़ाई-लिखाई से संबंधित गतिविधियों से भागना.
जोर से बोलने में दिक्कत होना. उच्चारण सही से नहीं करना.
गणित में सबसे ज्यादा दिक्कत और विदेशी भाषा सीखने में दिक्कत.

कब जाना चाहिए डॉक्टर के पास
4 साल तक के बच्चे में लक्षणों का पहचानना मुश्किल है लेकिन इसके बाद इस बीमारी को पहचाना जा सकता है. यदि उपरोक्त लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए.

खुद से कैसे करें मदद
अगर किसी बच्चे में डिस्लेक्सिया के लक्षण है तो उसे सबसे पहले डॉक्टर से दिखाना चाहिए. अगर डिस्लेक्सिया का इलाज नहीं किया गया तो बच्चे में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है जिसके कारण वह व्यावहारिक रूप से गलत हो जाएगा. उसमें चिंता, अवसाद, गुस्सा ज्यादा रहेगा. दोस्तों से कम बात करेगा या दोस्त बनाएगा ही नहीं. माता-पिता या शिक्षक से बेरूखी वाला व्यवहार करेगा. दरअसल, ऐसे बच्चों को भावनात्मक सपोर्ट की जरूरत होती है. इसलिए शुरुआती से माता-पिता उसके साथ सख्ती से नहीं बल्कि प्यार से पेश आए. यह समझें कि गलती वह खुद नहीं करता बल्कि बीमारी के कारण कर रहा है.

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Tags: Health, Health tips, Lifestyle

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