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Performance and Pleasures: एनवाईयू टंडन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के शोधकर्ताओं ने माइंडवॉच नाम की अत्याधुनिक मस्तिष्क निगरानी तकनीक विकसित की है. ये तकनीक दिखाती है कि रोजमर्रा की सामान्य खुशियां संज्ञानात्मक प्रदर्शन (Cognitive Performance) को कैसे बढ़ा सकती हैं? बायोमेडिकल इंजीनियरिंग एसोसिएट प्रोफेसर रोज़ फागीह ने यह तकनीक छह साल में विकसित की है. ये एल्गोरिदम इलेक्ट्रोडर्मल एक्टिविटी की निगरानी करने में सक्षम पहनने वाले उपकरणों से जुटाए गए मस्तिष्क गतिविधि डेटा का विश्लेषण करती है.
पसीने की प्रतिक्रियाओं से जुड़ी यह गतिविधि भावनात्मक तनाव से पैदा होने वाले विद्युत संचालन में बदलाव को दर्शाती है. नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित अध्ययन में संज्ञानात्मक कामों पर संगीत और कॉफी जैसी रोजमर्रा की खुशियों के असर का पता लगाने के लिए माइंडवॉच की शक्ति का उपयोग किया गया. शोा में शामिल प्रतिभागियों ने त्वचा की गतिविधि पर नजर रखने के लिए रिस्टबैंड और मस्तिष्क की गतिविधि की निगरानी के लिए हेडबैंड पहनकर अपने कामों में जुटे रहकर संज्ञानात्मक परीक्षण किया. इसके साथ ही उन्होंने इन दोनों चीजों के बिना भी काम करते हुए परीक्षण में हिस्सा लिया.
प्रदर्शन को बेहतर करने वाले बदलाव
माइंडवॉच एल्गोरिदम से पता चला कि संगीत और कॉफी दोनों ही मस्तिष्क की उत्तेजना में मापे जाने लायक बदलाव पैदा करते हैं. ये बदलाव संज्ञानात्मक प्रदर्शन को बेहतर करने वाले थे. विशेष रूप से ऑप्टिमल कॉग्निटिव फंक्शन से जुड़ा ‘बीटा बैंड’ मस्तिष्क तरंग गतिविधि में ये बेहतर काम करता है. अध्ययन के दौरान परफ्यूम ने भी कुछ हद तक संज्ञानात्मक प्रदर्शन पर अच्छा असर डाला. इससे शोधकर्ताओं को आगे की जांच की जरूरत महसूस हुई. शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह अध्ययन न केवल संज्ञानात्मक प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए रोजमर्रा की खुशियों की क्षमता पर रोशनी डालता है, बल्कि हमारी संज्ञानात्मक क्षमताओं को समझने और उनको ढालने के तरीके में बदलाव लाने के लिए माइंडवॉच की क्षमता को भी दिखाता है.
महामारी के समय में बेहतर मानसिक स्थिति पाने के लिए संगीत सुनना बेहतर साबित हो सकता है.
तनाव की पहचान करने में होगी मदद
शोधकर्ताओं का कहना है कि जैसे-जैसे हम अपनी मानसिक सेहत पर महामारी के असर से जूझ रहे हैं, वैसे-वैसे तकनीक और तंत्रिका विज्ञान का आपसी संबंध हमारे संज्ञानात्मक लचीलेपन तथा जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए नए रास्ते उपलब्ध करा रहा है. प्रोफेसर फागीह ने कहा कि मानसिक सेहत पर महामारी के असर को देखते हुए संज्ञानात्मक कामों पर रोजमर्रा के तनाव के असर की निगरानी करने की जरूरत बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि माइंडवॉच का आखिरी लक्ष्य लोगों को उनकी संज्ञानात्मक उत्तेजना में वास्तविक समय की अंतर्दृष्टि उपलब्ध कराना है. इससे उन्हें जबरदस्त तनाव या संज्ञानात्मक विघटन के पलों की पहचान करने की छूट मिलती है.
बेहतर मानसिक स्थिति के लिए संगीत
अध्ययनकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि किसी महामारी के समय में बेहतर मस्तिष्क हालात हासिल करने और काम या स्कूल के कामों में प्रदर्शन बेहतर करने में मदद के लिए संगीत सुनना बेहतर साबित हो सकता है. अध्ययन में एन-बैक परीक्षण का इस्तेमाल किया गया. ये एक वर्किंग मेमोरी टास्क होता है, जिसमें प्रतिभागियों को संकेत देना होता है कि वर्तमान उत्तेजना सीक्वेंस में एन आइटम से मेल खाती है या नहीं. विषयों से मेल खाते ऊर्जावान और आरामदायक संगीत के साथ ही लोगों की प्राथमिकताओं के मुताबिक एआई-जेनरेटेड म्यूजिक का परीक्षण किया गया. जिन लोगों को उनका परिचित संगीत सुनाया गया, उनके प्रदर्शन में ज्यादा सुधार नजर आया.
एआई-जेनरेटेड म्यूजिक के अच्छे नतीजे
अध्ययन से पता चला कि एआई-जेनरेटेड म्यूजिक ने लोगों को प्रदर्शन बेहतर करने में सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाया. शोध रिपोर्ट के मुताबिक, इन नतीजों की पुष्टि के लिए आगे भी शोध की जरूरत है. शोध के नतीजों से यह भी पता चला कि कॉफी पीने से प्रदर्शन में संगीत के मुकाबले अच्छे, लेकिन थोड़ा कम स्पष्ट फायदे नजर आए. वहीं, परफ्यूम ने प्रतिभागियों को प्रदर्शन बेहतर करने में सबसे कम फायदा पहुंचाया. शोधकर्ताओं के मुताबिक, 3-बैक परीक्षणों में इनका असर सबसे ज्यादा पड़ता है. शोध सुझाव देता है कि संज्ञानात्मक भार म्यूजिक, कॉफी और परफ्यूम के असर को प्रभावित करता है.
कॉफी पीने से प्रदर्शन में संगीत के मुकाबले अच्छे, लेकिन थोड़ा कम स्पष्ट फायदे नजर आए.
मस्तिष्क गतिविधि की लगातार निगरानी
शोधकर्ताओं के मुताबिक, माइंडवॉच टीम का शोध मस्तिष्क गतिविधि की लगातार निगरानी और संज्ञानात्मक कामों को संशोधित करने में अलग-अलग तरह के हस्तक्षेपों के असर का मूल्यांकन करने पर केंद्रित होगा. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि व्यापक रूप से सफल हस्तक्षेपों की पहचान करना व्यक्तिगत प्रभावशीलता की गारंटी नहीं देता है. ये हर व्यक्ति की संज्ञानात्मक प्रतिक्रियाओं की विशिष्टता को सामने लाता है.
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Tags: Coffee, Music, New Study, Research
FIRST PUBLISHED : August 10, 2023, 20:37 IST
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