हाइलाइट्स
सेक्स वर्कर के रूप में 16 साल काम कर चुकी संजना अब ऑटोरिक्शा चालक
HIV और अन्य यौन संचारित रोगों के खिलाफ एक योद्धा के रूप में काम कर रही
16 साल एचआईवी टेस्ट की रिपोर्ट आई थी नेगेटिव जिसने बदली जिदंगी की दिशा
नई दिल्ली. दिल्ली में रहने वाली ट्रांसवुमन संजना तिवारी (Transwoman Sanjana Tiwari) 40 साल की हैं. अपने जीवन में ट्रांसजेंडर होने के कलंक से जूझने और खुद को एचआईवी (HIV) पीड़ित मान चुकी संजना अब दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने का काम कर रही है. 12 साल की बेहद कम उम्र में यौन शोषण का शिकार हुई संजना को 16 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते जबरन यौनकर्मी के पेशे में ढकेल दिया गया. संजना अब ऑटोरिक्शा चालक हैं और सम्मान के साथ अपना जीवनयापन कर रही हैं. इतना ही नहीं एक स्वयंसेवी संस्था के साथ मिलकर इस एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) समुदाय के लोगों, उनके बच्चों व युवाओं के भविष्य को सुधारने का काम कर रही हैं.
संजना तिवारी कहती हैं कि समलैंगिक पुरुषों और ट्रांसवुमन के बीच सबसे पहले वह अपना परिचय कराती हैं, जिनको बताती हैं कि उनको भी पहले एचआईवी (HIV) होने का खतरा था. एक ट्रांसजेंडर होने के साथ-साथ यौन शोषण का शिकार होने के बाद यौनकर्मी के रूप में स्वयं को एचआईवी पॉजिटिव मान चुकी थीं. लेकिन उत्तर पश्चिमी दिल्ली में ऑटोरिक्शा चालक बनी संजना अब एड्स और अन्य यौन संचारित रोगों के खिलाफ एक योद्धा के रूप में काम कर रही हैं.
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इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, संजना तिवारी स्वयंसेवी संस्था के साथ मिलकर ट्रांस लोगों की मदद कर रही हैं. संजना अपने जीवन के कड़वे और डरवाने पहलुओं से अवगत कराती हैं. वह बताती हैं कि 5 भाई बहनों में वह सबसे बड़ी थीं. वह बताती हैं कि वह एक लड़के रूप में जन्मी थीं, लेकिन उसे एक औरत की तरह सजना-संवरना पसंद था. उसे अपने पड़ोस के लड़के पसंद थे, लेकिन इस डर से कि उसके पिता और पड़ोसी क्या कहेंगे, उसने कभी भी अपनी लैंगिक पहचान का खुलासा नहीं किया.
संजना का कहना है कि उन्हें लड़कियों की तरह डांस करना अच्छा लगता था, लेकिन उसके घरवाले उसे डराते थे. उसके परिवार वाले कहते थे कि अगर उसने किन्नरों की तरह डांस किया तो वे उसे ले जाएंगे. उसका कहना है कि किशोरावस्था तक खुद को एक लड़के के रूप में अच्छी तरह से पेश किया, जब तक कि गरीबी ने उसे सेक्स वर्क के लिए मजबूर नहीं किया. उन्होंने बताया कि मेरे पिता ने मेरा साथ नहीं दिया.
संजना कहती हैं, ‘मेरी मां रजाई की एक दुकान में काम करती थी, जोकि उसकी सेहत के लिए सही नहीं था. फिर मैंने 12 साल की उम्र में नट बोल्ट की एक फैक्ट्री में काम शुरू कर दिया, जहां पर उसके मालिक ने मेरा यौन शोषण किया.’
HIV संक्रमण होने का था पूरा यकीन
वह कहती हैं, ‘इसके बाद मैं डर गई थी कि अगर मैंने उसे रोका तो वह मुझे निकाल देगा. तभी मैंने सोचा कि एक बार मेरा शोषण हो चुका है और कोई रास्ता नहीं बचा है, तो क्यों न मैं पैसे के लिए सेक्स वर्क करूं? मेरे महिला व्यवहार का परिवार के सदस्य मजाक उड़ाते थे. मेरे पिता, चाचा और मेरी दादी तक सभी मुझे अक्सर गाली देते थे.’
संजना कहती हैं, ‘लेकिन यह एचआईवी और एड्स का डर था, जिसने 16 साल बाद मेरे जीवन की दिशा बदल दी. जब मैंने सेक्स वर्कर के रूप में काम शुरू किया तो हममें से कोई भी वास्तव में एचआईवी के बारे में नहीं जानता था. जब दीपशिखा नामक स्वयंसेवी संस्था ने एचआईवी के बारे में बताया तो इसका टेस्ट करवाया. मैं 16 साल से बिना कंडोम के काम कर रही थी और मुझे यकीन था कि मुझे संक्रमण हो गया है. मेरा रोहिणी के बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल में टेस्ट हुआ और रिपोर्ट नेगेटिव आई.’
नुक्कड़ नाटक कर एचआईवी के प्रति करती हूं जागरूक
उन्होंने बताया कि मेरे साथ जो घटनाएं घटित हुईं उन सभी को पीछे छोड़ते हुए सही ढंग से जीवन जीना शुरू किया और अपनी शर्तों पर इसको जीने का फैसला किया. मैंने सेक्स वर्कर के पेशे को छोड़ दिया और दीपशिखा के साथ काम करना शुरू कर दिया. उसने मुझे एक ऑटोरिक्शा चालक बनने में मदद की. मेरे क्रिएटिविटी को जाना. अब मैं एचआईवी के बारे में लोगों को नुक्कड़ नाटक के जरिए जागरूक करती हूं.
पॉजिटिव टेस्ट वालों को सरकारी केंद्रों पर फ्री ट्रीटमेंट व दवाएं उपलब्ध
संजना ने जागरूकता के लिए चलाए जा रहे अपने प्रयासों के बारे में बताया कि कुछ सालों में सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं. उन्होंने देखा है कि कैसे अधिकांश पुरुष और ट्रांस सेक्स वर्कर कंडोम का उपयोग करते हैं. पॉजिटिव टेस्ट वालों को अब सरकारी केंद्रों पर मुफ्त ट्रीटमेंट और दवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन इसके लिए निगरानी होना बेहद जरूरी है.
सरकारी सुविधाओं व इलाज में भेदभाव का आरोप
ट्रांसवुमन संजना तिवारी ने एचआईवी पॉजिटिव (HIV-positive) लोगों के सरकारी अस्पतालों में इलाज के तरीके पर सवाल खड़े किए हैं. उनका आरोप है कि जो लोग एचआईवी पॉजिटिव हैं उनको सरकारी सुविधाओं व इलाज में भेदभाव किया जाता है. एक उदाहरण पेश करते हुए संजना का कहना है कि एक बार मैं एक युवा एचआईवी पॉजिटिव लड़के को टीबी का टेस्ट कराने के लिए सरकारी अस्पताल में लेकर गई.
इम्युन सिस्टम कमजोरी की वजह से HIV वाले को हो जाता है TB संक्रमण
माना जाता है कि इम्युन सिस्टम के कमजोर होने की वजह से एचआईवी वाले को टीबी संक्रमण हो जाता है. वो एचआईवी और टीबी कार्यक्रमों के तहत लोगों को इससे जागरूक करती हैं. लेकिन जहां पॉजिटिव मरीज को लेकर वो टेस्ट कराने के लिए लेकर गईं जो वहां नहीं हो सका. मुझे उसको एक निजी क्लिनिक में ले जाना पड़ा. जबकि सरकारी सुविधाओं में ऐसा भेदभाव नहीं होना चाहिए.
स्कूलों में इन छात्रों के साथ भी होता है यौन शोषण
संजना ने बताया कि वह एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) बच्चों के लिए शिक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी जोर देती हैं ताकि वे सेक्स वर्क में न पड़ें. उनका कहना है कि आम तौर पर सेक्स वर्कर (Sex Workers) की आग में उतरने वाले गरीब ही होते हैं, जो यह नहीं जानते कि कमाई कैसे की जाए. इस गरीबी में वह सेक्स वर्क की ओर रुख करते हैं. अपने स्कूल के समय की घटना का उदाहरण देते हुए यह भी बताया कि समस्या यह है कि नपुंसक छात्रों के साथ उनके सहपाठी, शिक्षक और स्कूल के कर्मचारी तक उनको यौन शोषण करते हैं.
इस वजह से वह बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ देते हैं. इसलिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि उन्हें बिना किसी डर के पूरी स्कूली शिक्षा प्राप्त हो सके. यह सब तरीका सुनिश्चित होना चाहिए. पढ़ाई के बाद उनको मुख्यधारा की नौकरियां मिलनी चाहिए जिससे उनको औरों की तरह अपना जीवन चलाने में मदद मिल सके.
संजना का कहना है कि एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) युवाओं के बीच यौन और डिजिटल साक्षरता के लिए अभियान चला रही हैं. उनको लगता है कि सभी बच्चों को यौन शिक्षा मिलनी चाहिए ताकि वे अपनी सुरक्षा कर सकें.
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Tags: Aids, Delhi news, HIV, Transgender
FIRST PUBLISHED : January 02, 2023, 15:33 IST