रामकुमार नायक/रायपुरः छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां धान की खेती बड़ी मात्रा में की जाती है. इनमें कई ऐसी भी धान की किस्में हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद ही लाभकारी होती हैं. छत्तीसगढ़ के इकलौते कृषि विश्वविद्यालय यानी इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानियों ने छत्तीसगढ़ के पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करते हुए धान की नवीन औषधीय किस्म ‘संजीवनी’ विकसित की है. जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और कैंसर कोशिकाओं की रोकथाम में उपयोगी पाई गई है. संजीवनी का विकास छत्तीसगढ़ की पारंपरिक औषधीय धान की किस्मों से चयन कर किया गया है. इसके औषधीय गुणों के वैज्ञानिक आधार का विस्तृत विश्लेषण कर इस किस्म को तैयार किया गया है. केवल 10 दिन तक इसका उपयोग करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि देखी गई है.
प्लांट ब्रीडिंग के विभागाध्यक्ष डॉ दीपक शर्मा ने बताया कि औषधि वैल्यू वाले धान में पिछले करीब 6 साल से काम कर रहे हैं और यह काम मुंबई के भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर यानी परमाणु अनुसंधान केंद्र के संयुक्त तत्वाधान में किया जा रहा है. हाल ही में जो हम लोगों के सामने एक किस्म के परिणाम आए थे उसमें लायचा उसका पुराना नाम था क्योंकि लायचा में हमारे पास और भी दूसरी किस्म है. उसमें से एक किस्म में बहुत सारी औषधि गुण मिले यह जो है, बस्तर की किस्म है. इसको संजीवनी के नाम से अभी स्टेट वैरायटी रिलीज कमेटी से रिलीज किया है.
इम्यूनिटी बूस्टर होता है
प्लांट ब्रीडिंग के विभागाध्यक्ष डॉ दीपक शर्मा ने आगे बताया कि भारतवर्ष में इस तरीके की प्रथम किस्म विकसित हुई है. रिलीज हुई है. SVRC यानी राज्य किस्म विमोचन समिति ने इसका अनुमान किया है. ताकि इस किस्म का हमारे किसानों और लोगों को बेनिफिट मिल सके. इसमें जो गुणवत्ता सामने आई है, वह इम्यूनिटी बूस्टर है. मतलब हमें विभिन्न रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करती है.1979 में महान वैज्ञानिक डॉ आर. एच. रिछारिया ने इस धान की किस्म को लेकर उस समय भी बताया था कि में इस धान का चावल गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद बताया था. इसके सेवन करने से होने वाले बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी रहे और स्वस्थ रहती है.
संजीवनी किस्म का एक विशिष्ट धान
वर्तमान में अधिकतर किसान उच्च उत्पादन वाली किस्म की तरह बढ़ रहे हैं या हाइब्रिड किस्म अपना रहे हैं. लेकिन हमारी परंपरागत धान की किस्मों में सब गुणवत्ता है, वह धीरे-धीरे हमसे दूर होती जा रही है. उन्हीं को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय फिर से सामने ले आया है. जिसकी वजह से भारत ही पूरे विश्व स्तर से संपर्क हो रहे हैं. यह संजीवनी किस्म का एक विशिष्ट धान है.
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FIRST PUBLISHED : January 12, 2024, 17:14 IST