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नई दिल्ली. मणिपुर में दो महिलाओं को खुलेआम निर्वस्त्र अवस्था में घुमाने के मामले में शुक्रवार को भी संसद में काफी हंगामा देखने को मिला. इसके चलते संसद का सत्र दूसरे दिन भी नहीं चल सका है. इस पर बीजेपी नेताओं ने विपक्ष पर सदन नहीं चलने देने और चर्चा से दूर भागने का आरोप लगाया है. केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है.
केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने दावा करते हुए कहा कि इस पर विपक्ष के साथ 19 जुलाई को मीटिंग हुई, जिसमें नियम 176 के तहत चर्चा पर बात हुई थी. जब सदन शुरू हुआ तो विपक्ष ने यू टर्न ले लिया और 176 की जगह नियम 267 के तहत चर्चा कराने पर अड़ गया है. आखिरकार नियम 176 और 267 क्या है और विपक्ष क्यों 267 के तहत चर्चा कराने पर अड़ा हुआ है? आइए जानते हैं कि इन दोनों नियमों में ऐसा क्या है जिस पर दोनों पक्षों में ठनी हुई है.
नियम 176 क्या कहता है?
जब मणिपुर की घटना सामने आई तो एक दिन पहले ही 19 जुलाई को सरकार की तरफ से ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई गई थी, जिसमें विपक्षी दलों ने मणिपुर मामले पर चर्चा कराने की मांग की. इस पर सरकार ने भी स्वीकृति दे दी थी कि वो चर्चा के लिए तैयार हैं. मीटिंग में नियम 176 के तहत चर्चा कराने पर सहमति बनी, जिसके बारे में संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि विपक्ष के कई सांसदों ने 176 के तहत चर्चा कराने का नोटिस दिया था.
नियम 176 के तहत किसी विशेष मुद्दे पर अल्पकालिक चर्चा की जाती है. दूसरे शब्दों में कहें तो ये नियम किसी विशेष मुद्दे पर सीमित समय के अंदर चर्चा कराने की अनुमति प्रदान करता है, जिसका समय ढाई घंटे से ज्यादा नही होता. ऐसा विषय जो सार्वजनिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण हो उस पर कोई भी सदस्य चर्चा कराने के लिए नोटिस दे सकता है. इसमें एक शर्त भी जुड़ी रहती है कि जो भी सदस्य इस नियम के तहत नोटिस देता है उसको नोटिस के साथ कारण भी बताना होता है और इसके साथ ही दो सदस्यों के समर्थन में साइन भी होने चाहिए.
नियम 267 में क्या होता है?
इस नियम के तहत राज्यसभा सभापति की सहमति से कोई भी राज्यसभा सदस्य प्रस्ताव ला सकता है. इसमें सदन के पूर्व निर्धारित एजेंडे को निलंबित करने की विशेष शक्ति होती है. इस नियम की विशेषता या महत्वपूर्णता ऐसे भी समझी जा सकती है कि राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे पर चर्चा हेतु अन्य सभी विषयों या चर्चाओं को रोक दिया जाता है. इससे संदेश जाता है कि देश के लिए यही सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है. विपक्ष के द्वारा उठाये गये सवालों पर जवाब संबंधित मंत्रालय के मंत्री द्वारा दिया जाता है और इस नियम के तहत चर्चा के बाद वोटिंग कराने का प्रावधान है.
हालांकि संसद में संसद सदस्य सरकार से जवाब कई तरह से मांग सकता है. इसमें प्रश्नकाल के दौरान सरकार से सवाल किए जा सकते हैं. सांसद शून्यकाल के दौरान मुद्दे को उठा सकते हैं. प्रत्येक दिन 15 सांसदों को शून्यकाल में अपने प्रश्न रखने की अनुमति दी जाती है, लेकिन नियम 267 के तहत यदि अनुमति मिलती है तो उस दिन के लिस्टेड एजेंडे को निलंबित कर दिया जाता है. इसलिए विपक्ष इस नियम के तहत चर्चा कराने की मांग पर अड़ा हुआ है.
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Tags: Monsoon Session of Parliament, Narendra modi, New Delhi news, Opposition Parties
FIRST PUBLISHED : July 21, 2023, 23:50 IST
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