Friday, July 19, 2024
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संसद परिसर में कंगना रनौत शूट करना चाहती हैं’ इमरजेंसी’, क्या मिलेगी इजाजत?


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बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत (Kangana Ranaut) की आखिरी रिलीज फिल्म धाकड़ (Dhaakad) बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से पिट गई थी। धाकड़ के बाद कंगना रनौत अब फिल्म इमरजेंसी (Emergency) में नजर आएंगी, जिसको लेकर बीते लंबे वक्त से ही वो चर्चा में बनी हुई हैं। ऐसे में सूत्रों के हवाले से खबर सामने आ रही है कि कंगना रनौत ने अब संसद परिसर के अंदर फिल्म ‘इमरजेंसी’ की शूटिंग के लिए लोकसभा सचिवालय से अनुमति मांगी है।

कंगना ने मांगी इजाजत

दरअसल कंगना रनौत ने लोकसभा सचिवालय को पत्र लिखा है और ससंद परिसर के अंदर शूटिंग की इजाजत मांगी है। सूत्रों ने बताया कि कंगना रनौत का पत्र विचाराधीन है लेकिन उन्हें इजाजत मिलने की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि लोकसभा सचिवालय को लिखे पत्र में रनौत ने अनुरोध किया है कि उन्हें संसद परिसर के अंदर आपातकाल पर आधारित फिल्म की शूटिंग करने की अनुमति दी जाए। आम तौर पर, निजी संस्थाओं को संसद परिसर के अंदर शूटिंग या वीडियो बनाने की अनुमति नहीं दी जाती है। इमरजेंसी में कंगना रनौत, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका भी निभा रही हैं, जिन्होंने 1975 में देश में आपातकाल लगाया था।

क्या ससंद परिसर में शूट हो पाएगी इमरजेंसी

सूत्रों ने पीटीआई-भाषा से कहा कि किसी आधिकारिक या सरकारी काम के लिए शूटिंग की जा रही हो तो अलग बात है। उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से सरकारी प्रसारक, दूरदर्शन और संसद टीवी को संसद के अंदर कार्यक्रमों की शूटिंग करने की इजाज़त है। सूत्रों ने कहा कि किसी निजी पक्ष को संसद के अंदर निजी काम की शूटिंग करने की इजाज़त दिए जाने की कोई मिसाल नहीं है। याद दिला दें कि’इमरजेंसी’ की शूटिंग इस साल जून में शुरू हुई थी। इस फिल्म का निर्देशन कंगना रनौत कर रही हैं। इसके अलावा वह स्वयं फिल्म की लेखक और निर्माता भी हैं।

कंगना क्यों बना रही हैं इमरजेंसी

कंगना रनौत ने एक बयान में कहा था, “आपातकाल भारतीय राजनीतिक इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण दौर में से एक को दर्शाता है, जिसने सत्ता को देखने के हमारे नजरिए को बदल दिया और इसलिए मैंने यह कहानी बताने का फैसला किया।” देश में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक आपातकाल लागू रहा था। 21 महीने की इस अवधि के दौरान लोगों के मौलिक अधिकारों पर पाबंदियां लगा दी गई थी। आपातकाल के बाद हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को 1947 में भारत के आज़ाद होने के बाद पहली बार हार का सामना करना पड़ा था।

 



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