Friday, May 2, 2025
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सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती बने कांची कामकोटि पीठ के 71वें मठाधीश, 20 साल है उम्र, ऋग्वेद के प्रकांड विद्वान


अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती को कांची कामकोटि पीठ के 71वां मठाधीश बनाया गया है. एक भव्य समारोह में हर हर शंकर, जय जय शंकर के उद्घोष और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती का मठाधीश के रूप में अभिषेक किया गया. कांची कामकोटि पीठ के वर्तमान मठाधीश श्री विजयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य ने चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती को अपने उत्तराधिकारी के रूप में घोष​णा की. उन्होंने संन्यास दीक्षा समारोह में तांडम सौंपकर मठ का आचार्य बनाया. इस तरह से 20 साल के सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती कांची मठ के 71वें मठाधीश बन गए. श्री कांची कामाक्षी अंबल देवस्थानम मंदिर के गंगा तीर्थम में भव्य समारोह आयोजित किया गया.

इस अवसर पर विजयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य ने कहा कि कांची कामकोटि पीठ गुरु परंपरा को आगे बढ़ाने में देश के महत्वपूर्ण पीठों में से एक है. सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती कांची कामकोटि पीठ परिवार का सदस्य बन गए हैं. इस मौक पर तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि भी अभिषेक समारोह में मौजूद रहे.

कौन हैं 20 साल के सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती?
1. सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती का जन्म आंध्र प्रदेश के अन्नावरम के साधारण परिवार में हुआ. पहले उनका नाम डुड्डू सत्य वेंकट सूर्य सुब्रमण्यम गणेश शर्मा द्रविड़ था. ये वैदिक विद्वानों के परिवार से आते हैं.

2. सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती ऋग्वेद के विद्वान हैं. उन्होंने 12 साल से अधिक समय तक वैदिक अध्ययन किया है. इनको सामवेद, यजुर्वेद, षडंग, उपनिषदों के अलावा अन्य शास्त्रों में भी महारत हासिल है.

3. वे तेलंगाना के बसारा में श्री ज्ञान सरस्वती देवस्थानम में एक पुजारी के रूप में कार्य कर चुके हैं.

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4. इनके पूर्वज मूलत: तमिलनाडु के हैं, जो तंजावुर जिले के वलंगाइमन में रहते थे. लगभग 300 साल पहले वे तमिलनाडु से आंध्र प्रदेश आ गए.

5. सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती के पिता धनवंतरी शर्मा और माता अलामेलु हैं. इनके पिता आंध्र प्रदेश के अन्नावरम में श्री सत्यनारायण मंदिर के पुजारी हैं. सत्य चंद्रशेखरेंद्र की एक छोटी बहन भी हैं.

6. 2024 में बसारा यात्रा के दौरान आचार्य श्री विजयेंद्र सरस्वती की मुलाकात सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती से हुई थी, तो उन्होंने इनको कांची में शास्त्रों के अध्ययन के लिए बुलाया. इनके गुणों और विद्वता से श्री विजयेंद्र सरस्वती काफी प्रभावित हुए.



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