Home National सनातन की लगातार उपेक्षा, 1947 में ही होना चाहिए था धर्मस्थलों का पुनरोद्धार, योगी का विपक्ष पर निशाना

सनातन की लगातार उपेक्षा, 1947 में ही होना चाहिए था धर्मस्थलों का पुनरोद्धार, योगी का विपक्ष पर निशाना

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सनातन की लगातार उपेक्षा, 1947 में ही होना चाहिए था धर्मस्थलों का पुनरोद्धार, योगी का विपक्ष पर निशाना

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मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा जीवन की सच्चाई को जानने के लिए प्रेरणा देती है। यह कथा समग्र जीवन दर्शन है। जबकि पहले की सरकारों ने सनातन धर्म की उपेक्षा की और कथा को काल्पनिक बताया। मंदिरों का पुनरुद्धार का कार्य आज हो रहा है जबकि इसे 1947 में ही हो जाना चाहिए था। सीएम योगी ने गोरखनाथ मंदिर में युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 54वीं एवं महंत अवेद्यनाथ की 9वीं पुण्यतिथि समारोह के अवसर पर मंगलवार को श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ के शुभारंभ अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। 

दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि इस संसार में कर्म के फल से ही सुख-दुख प्राप्त होता है। कर्म से यदि स्वर्ग भी प्राप्त होता है तो वह भी नित्य नहीं है। जब तक पुण्य है तभी तक स्वर्ग भोग करेंगे। जब पुण्य क्षीण होगा तो पुनः मृत्यु लोक में आना पड़ेगा। ऐसे में जन्म-मरण के इस आवागमन के बंधन से मुक्त होने का मोक्ष प्राप्ति ही माध्यम है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बताने वाली कथा श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा है, जो जीव को मुक्ति दिलाती है।

1947 में ही हो जाना चाहिए था धर्मस्थलों का पुनरुद्धार

योगी ने कहा कि अपने जीवन के दायित्व के साथ-साथ धर्म का आचरण करना और प्रभु की लीला का श्रवण करना चाहिए। क्योंकि कहा गया है, जहां धर्म होता है, वहीं विजय भी होती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले की सरकारों ने सनातन धर्म की उपेक्षा की और कथा को काल्पनिक बताया। पर, वर्तमान सरकार बनाने के बाद आज धार्मिक स्थलों का पुनुरुद्धार हो रहा है जो 1947 में ही हो जाना चाहिए था।

शोभायात्रा में शामिल हुए पीठाधीश्वर

श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ के शुभारंभ से पूर्व गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में मुख्य मंदिर से कथा स्थल तक बैंडबाजे, शंख ध्वनि की गूंज तथा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा के कथा स्थल पहुंचने पर गोरक्षपीठाधीश्वर ने अखंड ज्योति स्थापित की। इस अवसर पर महंत सुरेश दास, राघवाचार्य, अवधेश दास, दासलाल जी, गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, संतोष दास आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

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