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Sanatan Dharma Controversy: जब विपक्षी गठबंधन INDIA के घटक दल डीएमके के नेता और तमिलनाडु सीएम के मंत्री बेटे उदयनिधि स्टालिन “सनातन धर्म के खात्मे” वाली टिप्पणी पर देशभर में आलोचना का सामना कर रहे हैं तभी कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने यह कहकर एक और विवाद खड़ा कर दिया कि उन्हें केरल के एक मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया था।
समाज सुधारक नारायण गुरु की 169वीं जयंती के कार्यक्रम में बेंगलुरु में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, “एक बार, मैं केरल के एक मंदिर में गया। वहां मुझे अपनी शर्ट उतारकर प्रवेश करने के लिए कहा गया। तब, मैंने मंदिर में प्रवेश करने से इनकार कर दिया और उनसे कहा कि मैं बाहर से ही भगवान की प्रार्थना करूंगा।” सिद्धारमैया ने कहा, “लेकिन, उन्होंने हर किसी को अपनी शर्ट उतारने के लिए नहीं कहा। सिर्फ कुछ लोगों को ही ऐसा करने को कहा। यह एक अमानवीय प्रथा है। भगवान के सामने हर कोई बराबर है।”
बता दें कि कई दक्षिण भारतीय मंदिरों में पुरुषों के लिए ‘अंगवस्त्र’ के साथ ही मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत है और यह आम बात है।
एक दिन पहले ही सिद्धारमैया ने केंद्र सरकार पर गरीब विरोधी और पूंजीपतियों का समर्थक होने का आरोप लगाते हुए भाजपा को नीच कहा था। कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने बुधवार को लोगों से यह भी सुनिश्चित करने को कहा था कि अगले साल लोकसभा चुनाव में एक भी वोट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को न मिल सके। उन्होंने भाजपा को ‘नीच’ बताते हुए कहा कि केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी मानवता विरोधी है, क्योंकि उसने राज्य सरकार की ‘अन्न भाग्य योजना’ के तहत प्रत्येक लाभार्थी को अतिरिक्त पांच किलोग्राम चावल की आपूर्ति करने के लिए कर्नाटक को चावल उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा, ”जब मैं अपने पिछले कार्यकाल के दौरान मुख्यमंत्री था, तो मैं सात किलोग्राम चावल मुफ्त दे रहा था, लेकिन पिछली भाजपा सरकार ने इसे घटाकर चार किलोग्राम और पांच किलोग्राम कर दिया। विधानसभा चुनाव के दौरान मैंने वादा किया था कि हम पांच किलोग्राम अतिरिक्त अनाज देंगे।”
सिद्धरमैया ने तुमकुरु जिले के मधुगिरि में ‘क्षीर भाग्य योजना’ (जिसके तहत सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों के छात्रों को सप्ताह में पांच दिन दूध दिया जाता है) के 10 साल पूरे होने के मौके पर कहा कि जब कांग्रेस सरकार सत्ता में आई, तो उसने अन्न भाग्य योजना के लिए चावल की आपूर्ति करने के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को पत्र लिखा। उन्होंने कहा कि एफसीआई ने भी राज्य सरकार को चावल उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है।
उन्होंने कहा, ”हमें उन पर (एफसीआई) पर भरोसा है लेकिन केंद्र सरकार ने हमें चावल देने से इनकार कर दिया। क्या भाजपा गरीबों की समर्थक है? वह नहीं हैं। हमने मुफ्त में चावल नहीं मांगा। हम इसके लिए भुगतान करने को तैयार थे। जब हमने चावल मांगा तो वे तैयार हो गये और फिर मुकर गये। आपको तय करना होगा कि वे कितने ‘नीच’ हैं। वे गरीब विरोधी हैं। उनमें मानवता नहीं है।”