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जेपी की जयंती पर लखनऊ में जेपीएनआईसी में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण से रोके जाने से खफा सपा प्रमुख अखिलेश यादव गेट फांदकर अंदर पहुंच गए। अखिलेश के इस तरह से अंदर जाकर माल्यार्पण करने पर यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने हमला बोला है। ब्रजेश पाठक ने इसे सपा की गुंडई और अराजकता बताया। अखिलेश पर तंज कसते हुए ब्रजेश पाठक ने यहां तक कहा कि अगर सपा अध्यक्ष कूदना जानते ही हैं तो एशियाड में जाना चाहिए और भारत के लिए कुछ और मेडल लाने पर काम करना चाहिए।
ब्रजेश पाठक ने अपने वीडियो संदेश में अखिलेश यादव और सपा को निशाने पर लेते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी को अराजकता और गुंडई पसंद है। आज समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के जेपीएनआईसी पर किए गए आचरण से यह सिद्ध हो गया है। जिस तरह से गेट फांदकर अखिलेश ने माल्यापर्ण किया है वह अराजकता ही है। ब्रजेश पाठक ने कहा कि उस बिल्डिंग को लखनऊ विकास प्राधिकरण ने सील करके रखा है। जिस बिल्डिंग को सील किया गया हो उसके अंदर इस तरह से जाना कानूनन ठीक नहीं है।
कहा कि अखिलेश यादव को कानून से कोई मतलब नहीं है। कानून के आसपास भी वह जाना नहीं चाहेंगे। हमेशा कानून तोड़कर अराजकता फैलाना समाजवादी पार्टी का पुराना शगल रहा है। कहा कि अगर इसी तरह से कूदना समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष जानते हैं तो एशियाड में जाकर भारत के लिए कुछ और मेडल लाने पर काम करना चाहिए था।
इससे पहले मंगलवार की सुबह जेपी एनआईसी पर स्थित जेपी की प्रतिमा पर माल्यार्पण की इजाजत अखिलेश को नहीं मिली तो उन्होंने जबरिया वहां जाने और माल्यार्पण का ऐलान कर दिया था। अखिलेश के ऐलान के बाद जेपी एनआईसी पर ताला लगा दिया गया और आसपास टीन की दीवार खड़ी करके फोर्स तैनात कर दी गई थी।
इस पर अखिलेश ने भी मुकाबले का ऐलान ट्वीट से करते हुए लिखा कि अब क्या माल्यार्पण के लिए भी जयप्रकाश नारायण जी की तरह ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ का आह्वान करना पड़ेगा। अगर भाजपा को यही मंज़ूर है तो यही सही। इसके बाद बड़ी संख्या में सपाई जेपी एनआईसी पर पहुंच गए और धरना शुरू कर दिया। अखिलेश यादव भी पहुंचे और गेट फांदकर अंदर घुस गए। वहां जाकर जेपी की प्रतिमा पर लगी प्लास्टिक को हटाकर माल्यार्पण किया।
माल्यार्पण के बाद अखिलेश ने ट्वीट करके लिखा कि भाजपा सरकार ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी की प्रतिमा और संग्रहालय की क्या दुर्गति की है, सारे देश-प्रदेश को ये देखना चाहिए। ये एक स्वतंत्रता सेनानी का भी अपमान है और समाजवादी चिंतक का भी। आज़ादी की जंग में भाग न लेनेवाली भाजपा स्वतंत्रता के संघर्ष का मोल क्या जाने। जो इतिहास का सम्मान नहीं करते, इतिहास उन्हें माफ़ नहीं करता है।