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केंद्र की मोदी सरकार ने देश में समान नागरिक संहिता यानी Uniform Civil Code लागू करने पर अभी कोई फैसला नहीं लिया है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को राज्यसभा में यह जानकारी दी। उन्होंने सदन को बताया कि केंद्र ने देश में समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है। मंत्री से सवाल पूछा गया था कि “क्या सरकार के पास समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पारित करने की कोई योजना है।” इसके जवाब में रिजिजू ने कहा, “विधि आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से संबंधित मामला 22वें विधि आयोग द्वारा विचार के लिए उठाया जा सकता है। इसलिए अभी तक समान नागरिक संहिता लागू करने पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।”
उन्होंने आगे जवाब दिया कि सरकार ने भारत के 21वें विधि आयोग से यूसीसी से संबंधित विभिन्न मुद्दों की जांच करने और उस पर सिफारिशें करने का अनुरोध किया था। हालांकि, 21वें विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त, 2018 को समाप्त हो गया। इसके अलावा, कानून मंत्री से कॉलेजियम को लेकर भी सवाल पूछे गए। मंत्री से पूछा गया कि क्या “क्या सरकार न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया में अपना प्रतिनिधि नियुक्त करने की दिशा में बढ़ रही है” और “क्या सरकार न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) जैसा एक स्वतंत्र नियामक स्थापित करने पर विचार कर रही है?”
इन सवालों के जवाब में कानून मंत्री ने संसद को सूचित किया कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय को 6 जनवरी, 2023 को अपने हालिया संचार में, सरकार ने विभिन्न न्यायिक घोषणाओं के मद्देनजर एमओपी को अंतिम रूप देने की आवश्यकता पर बल दिया है और अन्य बातों के साथ-साथ सुझाव दिया है कि सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में मूल्यांकन समिति में भारत सरकार द्वारा नामित प्रतिनिधि शामिल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए, समिति में भारत सरकार द्वारा नामित एक प्रतिनिधि और उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के तहत राज्य सरकार (सरकारों) के एक प्रतिनिधि को मुख्यमंत्री द्वारा नामित किया जाना चाहिए।