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भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के पूर्व मुंबई जोनल निदेशक समीर वानखेड़े ने मंगलवार को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के 21 अगस्त के आदेश का जिक्र करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया। हलफनामे में उनके खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली उनकी मई याचिका का समर्थन किया गया।
सीबीआई की एफआईआर इस आरोप पर आधारित थी कि वानखेडे़ ने अक्टूबर 2021 कॉर्डेलिया क्रूज ड्रग भंडाफोड़ मामले में अभिनेता शाहरुख खान बेटे आर्यन को न फंसाने के लिए 25 करोड़ रुपये की रिश्वत की मांग की थी।
कैट के आदेश का हवाला देते हुए वानखेड़े के हलफनामे में दलील दी गई कि पूरी एफआईआर एनसीबी के तत्कालीन उप महानिदेशक (उत्तरी क्षेत्र) ज्ञानेश्वर सिंह के नेतृत्व वाली विशेष जांच टीम (एसईटी) की रिपोर्ट पर आधारित है, जिसे कथित तौर पर अस्थिर माना गया है। हलफनामे में कहा गया है कि “संबंधित एफआईआर रद्द की जानी चाहिए।”
वानखेड़े ने अपने हलफनामे आगे कहा कि उनके खिलाफ मामले को जारी रखना कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग के अलावा कुछ नहीं है और न्याय के अंतर्गत इसे रद्द कर दिया जाए।
सीबीआई ने क्यों दर्ज किया वानखेड़े पर केस
11 मई को दर्ज की गई अपनी एफआईआर में सीबीआई ने वानखेड़े और कुछ अन्य लोगों पर ड्रग भंडाफोड़ मामले में शाहरुख खान बेटे आर्यन को न फंसाने के लिए शाहरुख खान से 25 करोड़ रुपये की उगाही करने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। 3 अक्टूबर, 2021 को आर्यन खान को मुंबई तट पर कॉर्डेलिया क्रूज जहाज पर कथित ड्रग्स की जब्ती के बाद एनसीबी द्वारा गिरफ्तार किया गया था। चूंकि एजेंसी आर्यन के खिलाफ आरोपों को साबित करने में विफल रही, इसलिए उसे तीन हफ्ते बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमानत दे दी।
19 मई को उच्च न्यायालय ने वानखेड़े को सीबीआई की किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की जिसे बाद में 7 सितंबर तक बढ़ा दिया गया, क्योंकि उन्होंने एजेंसी के जांच अधिकारी के सामने पेश होने और जांच में सहयोग करने की पेशकश की थी।