Home National सरकार ने 26 लोगों को आवंटित कर दी किसान की निजी भूमि, बाद में मानी गलती, लेकिन…

सरकार ने 26 लोगों को आवंटित कर दी किसान की निजी भूमि, बाद में मानी गलती, लेकिन…

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सरकार ने 26 लोगों को आवंटित कर दी किसान की निजी भूमि, बाद में मानी गलती, लेकिन…

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बेंगलुरु. कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु (Bengaluru) में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां एक शख्स की जमीन को बैंगलोर विकास प्राधिकरण (Banglore Development Authority) ने आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को दे दिया गया. बैंगलोर विकास प्राधिकरण (बीडीए) ने अर्कावती लेआउट में एक किसान 20 गुंटा जमीन पर आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 26 साइटें आवंटित की हैं. कमाल की बात ये है कि ये साइटें उसने कभी अधिग्रहित ही नहीं की थी और ये किसी की निजी संपत्ति है. अब इस जमीन का मालिक लगातार बीडीए से अपनी जमीन वापस दिए जाने की गुहार लगा रहा है.

ये संपत्ति मोहन रेड्डी के परिवार की है. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, रेड्डी ने कहा, “मैं केआर पुरम होबली में चेलेकेरे में 30 गुंटा (साइट नंबर 128/1) का मालिक हूं, जिनमें से 10 गुंटा को सड़क और नाली के चौड़ीकरण के लिए नोटिफाई और अधिग्रहित किया गया था. इसके लिए मुआवजे की भी घोषणा की गई. शुरुआती या फिर आखिरी नोटिफिकेशन में बाकी बचे 20 गुंटों का कोई जिक्र नहीं था. मुझे इस आंवटन के बारे में तब पता चला जब जिन लोगों को ये भूमि आवंटित की गई उन्होंने उनकी संपत्ति पर कब्जा करने की कोशिश की. साइट संख्या 968 से 994, सभी 20×30 वर्ग फुट आयाम में, अब आवंटित की गई हैं.

ऐसे हुई जमीन आवंटन की जानकारी
रेड्डी ने 22 दिसंबर, 2021 और 23 दिसंबर, 2022 को बीडीए कमिश्नर को पत्र लिखे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. उन्होंने कहा, “इस साल जनवरी में, आवंटित जमीन पाने वाला एक शख्स घर बनाने के लिए उसके लिए निर्धारित साइट पर आया. मैंने उसे मेरी संपत्ति में दखल देने से रोकने के लिए हेन्नूर पुलिस स्टेशन में एक पुलिस शिकायत भी दर्ज की,”

इंजीनियरिंग विभाग के एक अधिकारी ने माना कि गलती बीडीए की थी. उन्होंने कहा, “गलती हो गई. यह आवंटन 2014 से 2018 के बीच में हुआ है. यह भूमि अधिग्रहण और इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों की गलती है. जांच से पता चलेगा कि किसने गलत किया है.’

समाधान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘हम अब आवंटित जमीन वापस नहीं ले सकते. जमीन की कीमत अभी करीब 15 करोड़ रुपये तक है. समाधान यह है कि यदि वह आयुक्त से अनुरोध करता है और बोर्ड भी इसे स्वीकार करता है, तो उसी लेआउट में उसे 50 प्रतिशत विकसित भूमि को दी जा सकती है. हालांकि, रेड्डी इस प्रस्तावित सौदे से नाखुश हैं. उनका कहना है, “किसान कोई भिखारी नहीं हैं जो बीडीए की दी हुई 50 फीसदी जमीन स्वीकार कर लें. मैं किसी तरह की विकसित की हुई जमीन नहीं चाहता. मैं सिर्फ अपने पुरखों की जमीन वापस चाहता हूं.”

भूमि अधिग्रहण विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि वह विवरण के साथ वापस आएंगी.

Tags: Bengaluru, Land acquisition

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