Monday, December 16, 2024
Google search engine
HomeLife Styleसर्दियों में बढ़ी गजक की डिमांड स्वाद ऐसा की विदेश तक है...

सर्दियों में बढ़ी गजक की डिमांड स्वाद ऐसा की विदेश तक है इस गजक की डिमांड


मनीष पुरी/भरतपुर : सर्दी आते ही बाजारों में भी अब इसका असर तेजी से दिखने लगा है. लोगों के खानपान में बदलाव देखने को मिल रहा है. अब बाजारों में गर्म खाद्य पदार्थों की बिक्री में अधिक मात्रा में बढ़ने लगी है. तो वहीं अब भरतपुर के बयाना कस्बे की प्रसिद्ध गजक की डिमांड भी अधिक बढ़ने लगी है. अब बाजारों में गजक और मूंगफली जगह-जगह नजर आने लगी है.

शाम होते ही लोग इनका स्वाद लेने बाजार में आने लगते हैं. जहां वे अलाव के सहारे इनका स्वाद ले रहे है. क्योंकि अबसर्दी का असर तेज होने के साथ ही लोगों के खाने का जायका भी बदलने लगे है.बाजारों में गर्म खाद्य पदार्थों की बिक्री अधिक मात्रा मे बढ़ी है. और लोगों गजक का स्वाद लेने के लिए बाजारो में आ रहे हैं.

गजक बनाने वाले मनोज अग्रवाल ने बताया कि सर्दियों के मौसम में तिल व गुड चीनी की बनी गजक की अत्यधिक डिमांड रहती है. हमारी यह गजक खाने में बड़ी ही खस्ता व स्वादिष्ट होती है.जिसे कूट कूट कर बनाया जाता है. जिसे कुटेमा गजक के नाम से भी जाना जाता है. सर्दी में लोगों की दिनचर्या में बदलाव आ रहा है. क्योंकि सर्दी का मौसम ही स्वाद और खानपान पर असर डालता है. अब तेज होती सर्दी में लोग खाने-पीने की वस्तुओं में भी बदलाव ला रहे हैं. अब लोग सुबह नाश्ते से लेकर रात तक के भोजन में व्यजनों की मांग बढ़ने लगी है.

यह भी पढ़ें : जब भूतनी का प्रसव कराने गई दाई, डिलीवरी के बाद भूत ने उपहार में दिया कोयला, सुबह होते ही हो गया यह…

लोगों ने गर्म तासीर की सब्जियों का भी उपयोग करना शुरूअधिक कर दिया है.गजक बनाने वाली मनोज अग्रवाल ने बताया कि हमारा गजब कूटने का पुश्तैनी काम है. क्योंकि हमारे बाप दादा भी यही गजक कुटने का काम किया करते थे और हम भी यही गजक कुटने का काम किया करते हैं. हमे यह काम करते हुए लगभग तीसरी पीढ़ी हो गई है.

हमारी गजक काफी मशहूर है. जो कि गुजरात दिल्ली, मुंबई, जयपुर के अलावा विदेशों तक भी जाती है. हमारी इस गजक का नाम भी हमारे बाबा मटरुआ के नाम पर ही रखा गया है. जिन्होंने इस कारोबार को शुरू किया था. हमारा यह गजक का काम दो से ढाई महीने चलता है. जिसमें 12 से 13 क्विंटल गजक बन जाती है. हमारी इस गजक की कीमत 300 से लेकर 500 रूपये किलो तक मार्केटों में रहती है.

तिल की गजक बनाने की विधि
तिल की गजक बनाने के लिए सबसे पहले तिल को हल्की आंच पर सेका जाता है. उसके बाद में गुड और चीनी की चासनी बनाई जाती है. और चासनी को तब तक पकाया जाता है. जब तक कि वह काली न हो जाए चासनी को पकाने के बाद में उसे एक फर्श पर फैलाया जाता है. जब चाशनी ठंडी हो जाती है. तो ठंडा करके खींचा जाता है. इसके बाद में एक कढ़ाई में तिल व चासनी को मिक्स किया जाता है.

मिक्स करने के बाद इसके छोटे-छोटे टुकड़े काटे जाते हैं. टुकड़े काटने के बाद में उन टुकड़ों को गजक कूटने वाले के लिए आगे भेजा जाता है. गजक की कुटाई करने वाले लोग लकड़ी के हथौड़े से गजक की कूटाई करते है. गजक को गोल आकार बनाया जाता है. जब वह गोलाकार में आ जाती है उसके बाद उसे ठंडा करने के लिए साइड में रखा जाता है. जब वह अच्छी तरीके से ठंडी हो जाती है. तो उसे डिब्बो में पैक करमार्केटों में दुकानों के लिए भेजा जाता है.

Tags: Bharatpur News, Food 18, Local18, Rajasthan news



Source link

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments