Home Life Style सर्दियों में ही बुजुर्गों की सबसे ज्‍यादा मौतें क्‍यों होती है? एम्‍स के पूर्व निदेशक से जानें

सर्दियों में ही बुजुर्गों की सबसे ज्‍यादा मौतें क्‍यों होती है? एम्‍स के पूर्व निदेशक से जानें

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सर्दियों में ही बुजुर्गों की सबसे ज्‍यादा मौतें क्‍यों होती है? एम्‍स के पूर्व निदेशक से जानें

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Elderly deaths in Winter Season: अक्‍सर आपने अपने आसपास देखा और अनुभव भी किया होगा कि सर्दियां आते ही बुजुर्गों के देहांत की खबरें बढ़ जाती हैं. नवंबर से लेकर जनवरी तक इन तीन महीनों में 70 से ऊपर वाले किसी बीमारी से जूझ रहे या हेल्‍दी दिखाई दे रहे बुजुर्ग भी अचानक अपनी अंतिम यात्रा पर निकल जाते हैं. ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं होता है, बल्कि दुनिया के अधिकांश देशों में ठंड का मौसम वृद्ध लोगों पर भारी पड़ता है.

एक अनुमान के मुताबिक देश में विंटर में एल्‍डरली लोगों की मौतें करीब 40 फीसदी तक बढ़ जाती हैं लेकिन अगर आप सोच रहे हैं कि ऐसा सर्दी लगने की वजह से होता है तो आपको बता दें कि ऐसा नहीं है. सर्दी के मौसम में ठंड लगने की वजह से सिर्फ कुछ लोगों की मौत होती है, इस मौसम में मौतों की सबसे बड़ी वजह ये 3 बड़ी बीमारियां हैं.

ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज नई दिल्‍ली के पूर्व निदेशक डॉ. महेश चंद्र मिश्र कहते हैं कि नवंबर से लेकर जनवरी तक इन 3 महीनों में सिर्फ बुजुर्गों को ही नहीं बल्कि किसी भी बीमारी से जूझ रहे सभी उम्र के लोगों को सावधानी रखने की जरूरत है. इस मौसम में अधिकांश मामल सडन डेथ यानि अचानक मौत के सामने आते हैं. ऐसा 3 प्रमुख बीमारियों की वजह से होता है..

कौन सी हैं वे तीन बीमारियां
डॉ. मिश्रा कहते हैं कि खासतौर पर इस मौसम में बुजुर्गों की मौत हार्ट संबंधी बीमारियां जैसे कार्डियक अरेस्‍ट, रेस्पिरेटरी बीमारियां जैसे सीओपीडी, अस्‍थमा अटैक या निमोनिया और पैरालिसिस या स्‍ट्रोक-ब्रेन हेमरेज की वजह से होती हैं. सर्दी का मौसम इन तीनों ही बीमारियों को बढ़ाने वाला होता है. अगर कोई पहले से इनमें से किसी बीमारी से जूझ रहा है तो ठंड उसके लिए जानलेवा हो जाती है.
हालांकि घरों से बाहर और सड़कों पर रहने वाले लोगों की मौत सबसे ज्‍यादा हाइपोथर्मिया यानि ज्‍यादा ठंड लगने से होती है. जिनकी खबरें अक्‍सर इस मौसम में सुनने को मिलती हैं.

बुजुर्गों की मौतें ही सबसे ज्‍यादा क्‍यों?
डॉ. मिश्र बताते हैं कि 60 से ऊपर की अवस्‍था में लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है. इसके अलावा शरीर की स्थिति ऐसी होती है कि न तो ज्‍यादा ठंडा और न ही ज्‍यादा गर्म तापमान इन लोगों का शरीर सहन कर पाता है. इस उम्र तक आते-आते ये किसी न किसी इंटर्नल बीमारी से जूझ रहे होते हैं, जो इस उम्र में और खासतौर पर ठंड के मौसम में या तो फिर से उखड़ती है या गंभीर हो जाती है और मौतों का आंकड़ा बढ़ जाता है.

युवाओं को भी खतरा
ऐसा नहीं है कि ठंड का खतरा सिर्फ बुजुर्गों पर ही है, किसी भी बीमारी से जूझ रहे युवा भी इस मौसम में विशेष सावधानी बरतें. अगर वे हाई ब्‍लड प्रेशर या डायबिटीज से जूझ रहे हैं तो सर्दी का मौसम नुकसान पहुंचा सकता है.

कैसे करें बचाव?
डॉ. मिश्र कहते हैं कि इस मौसम में हाई बीपी और डायबिटीज के मरीज अपनी बीमारी को कंट्रोल करके रखें. इस मौसम में नसें सिकुड़ जाती हैं और खून की रफ्तार धीमी हो जाती है, जिसका असर हार्ट पर पड़ता है और हार्ट अटैक इस मौसम में जल्‍दी आता है, इसलिए पर्याप्‍त व्‍यायाम या चलना-फिरना करें. अगर हार्ट, रेस्पिरेटरी बीमारियों के मरीज पहले से दवा खा रहे हैं तो नियमित रूप से खाते रहें, समय पर डॉक्‍टरी सलाह लेते रहें. बुजुर्ग लोगों को ठंड के एक्‍सपोजर से बचाएं. घर को गर्म रखें लेकिन वेंटिलेशन जरूर रखें ताकि ऑक्‍सीजन पर्याप्‍त मात्रा में मिले. हाइपोथर्मिया से बचने के लिए जरूरी है कि खासकर रात के समय होने वाली ठंड से बचे रहें. गर्म चीजों का सेवन करें.

रोजाना करें ये तीन काम
. सर्दी के मौसम चाहे गर्म या ठंडा, पानी जरूर पीएं. कोशिश करें दिन में डेढ़ से दो लीटर पानी जरूर पीएं.
. रोजाना चाहे 20 मिनट ही करें, वॉक जरूर करें. योगासन और व्‍यायाम भी करते हैं तो और भी अच्‍छा है.
. अगर किसी बीमारी की दवा खा रहे हैं तो उसमें ढिलाई न बरतें, उसे लेते रहें.

Tags: Health, Heart attack, Lifestyle, Trending news, Winter

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