Home Life Style ससुराल में लड़ाई करने के बाद मायके में लंबे वक्त तक रहना आसान नहीं, झेलनी होती हैं 5 परेशानियां

ससुराल में लड़ाई करने के बाद मायके में लंबे वक्त तक रहना आसान नहीं, झेलनी होती हैं 5 परेशानियां

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ससुराल में लड़ाई करने के बाद मायके में लंबे वक्त तक रहना आसान नहीं, झेलनी होती हैं 5 परेशानियां

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Relationship, ससुराल में किसी कारणवश लड़ाई होने के बाद मायके लौट जाना कई बार भावनात्मक रूप से सुकून देने वाला लगता है, लेकिन लंबे वक्त तक मायके में रहना आसान नहीं होता. यह स्थिति महिला के लिए मानसिक, सामाजिक और व्यावहारिक चुनौतियों से भरी हो सकती है. लेकिन ये जितना आसान लगता है लोगों को इतना आसान होता नहीं है. ऐसे में आप किसी की मदद न भी ले रहे हो, तब भी आपको आस-पास और दुनिया की तानों का सामना करना पडता है. यहां ऐसी 5 प्रमुख परेशानियों पर चर्चा की जा रही है जो मायके में लंबे समय तक रहने से उत्पन्न हो सकती हैं.

1. समाज का दबाव और ताने
भारतीय समाज में विवाह को एक स्थायी संस्था माना जाता है. जब कोई विवाहित महिला लंबे समय तक मायके में रहती है, तो आस-पड़ोस और रिश्तेदारों की ओर से ताने मिलना शुरू हो जाते हैं. लोग तरह-तरह की बातें बनाते हैं जैसे, “घर बसाना नहीं आता”, “झगड़ा करके भाग आई” आदि. ये टिप्पणियां मानसिक तनाव को बढ़ा सकती हैं और आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा सकती हैं.

2. माता-पिता पर आर्थिक और भावनात्मक बोझ
शादी के बाद बेटी का मायका उसके लिए भावनात्मक सहारा जरूर होता है, लेकिन लंबे समय तक वहां रहना माता-पिता के लिए भी मुश्किल हो सकता है. आर्थिक रूप से यदि वे पहले से कमजोर हैं तो एक अतिरिक्त सदस्य का खर्च उठाना भारी पड़ता है. इसके अलावा, उन्हें समाज के सवालों का सामना भी करना पड़ता है, जिससे वे मानसिक दबाव में आ सकते हैं.

3. भाई-बहनों के साथ संबंधों में बदलाव
शादी के बाद भाई-बहनों का जीवन भी बदल जाता है. वे अपने निजी जीवन में व्यस्त होते हैं. मायके में एक विवाहित महिला की लंबी मौजूदगी से उनके जीवन में हस्तक्षेप की संभावना बढ़ जाती है. इससे आपसी संबंधों में खटास आ सकती है और घरेलू माहौल तनावपूर्ण बन सकता है.

4. स्वावलंबन की कमी और आत्मग्लानि
लंबे समय तक मायके में रहने से कई महिलाओं को खुद पर निर्भर न होने की भावना सताने लगती है. उन्हें लग सकता है कि वे अपनी शादी या जीवन की जिम्मेदारियों से भाग रही हैं. यह आत्मग्लानि उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है और उनका आत्मविश्वास डगमगा सकता है.

5. बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव
यदि महिला के बच्चे भी उसके साथ मायके में रहते हैं, तो यह उनके मानसिक और सामाजिक विकास पर असर डाल सकता है. परिवार का टूटना, माता-पिता के बीच का तनाव और अस्थायी माहौल बच्चे को असुरक्षित महसूस करा सकता है. स्कूल, दोस्तों और दिनचर्या में बदलाव उनके विकास में बाधा बन सकते हैं.

निष्कर्ष:
मायके में रहना महिला का अधिकार है और ज़रूरत पड़ने पर वहां सहारा मिलना भी बेहद ज़रूरी होता है. लेकिन यह समझना भी जरूरी है कि यह एक अस्थायी समाधान है, स्थायी नहीं. किसी भी विवाह में समस्याएं आना सामान्य है, लेकिन संवाद, परामर्श और समझदारी से हल निकालना अधिक लाभकारी होता है, लंबी अवधि के लिए मायके में रहना तभी उचित है जब अन्य सभी रास्ते बंद हो चुके हों और महिला की सुरक्षा और मानसिक शांति को खतरा हो.

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