Home Life Style साल में दो महीने मिलती है ये खास मिठाई, एक बार खाएंगे तो नहीं भूल पाएंगे स्वाद

साल में दो महीने मिलती है ये खास मिठाई, एक बार खाएंगे तो नहीं भूल पाएंगे स्वाद

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साल में दो महीने मिलती है ये खास मिठाई, एक बार खाएंगे तो नहीं भूल पाएंगे स्वाद

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मनीष पुरी/भरतपुर. वैसे तो राजस्थान अपने खास जायकों व स्वाद के लिए देश ही नहीं पूरी ​दुनिया में फेमस है. लेकिन, यहां की कुछ मिठाई ऐसी हैं कि वे केवल चुनिंदा अवसरों या समय पर ही बनती हैं. ऐसी ही एक फेमस मिठाई है ‘भरतपुर के खजले’. मैदे से बनने वाली यह मिठाई अलग-अगल स्वाद में बनती है. इसका टेस्ट मीठा भी होता है और नमकीन भी. इसके अलावा यह मिठाई फीकी भी खाई जाती है. इस मिठाई की खास बात ये भी है कि यह केवल दो माह ही बनती है. सितंबर से लेकर नवंबर तक बनने वाली इस मिठाई की दीवानगी ऐसी है कि लोग दूर-दूर से इसे खाने भरतपुर आते हैं.

भरतपुर शहर में इन दिनों जगह-जगह यह मिठाई बनती हुई देखी जा सकती है. शहर के हीरा दास चौराहा, बिजली घर चौराहा, सारस चौराहा सहित अन्य स्थानों पर इसकी दुकानें सजी हुई हैं. खास बात यह है कि खजला भरतपुर की फेमस मिठाई है. लेकिन इसे बनाने वाले कारीगर उत्तर प्रदेश के हैं, जो ज्यादातर औरैया और आसपास के इलाके के रहने वाले हैं. खजला की शुरुआत सितंबर महीने में शुरू होती है और नवंबर महीने के आखिरी में यह मिठाई समाप्त हो जाती है.

इस तरह बनता है खजला

इसे बनाने वाले हलवाइयों का कहना है कि 1 किलो मैदा से 10 खजला बनाए जाते हैं, जिन्हें पहले रिफाइंड आयल में तलकर फुलाया जाता है और फिर उसे चासनी में डूबोकर अलग-अलग आकार दिया जाता है. खजला तीन प्रकार का होता है. खोआ वाला खजला, नमकीन खजला और मीठा खजला जिसकी दर भी अलग-अलग होती है. खोवा वाले खजला की रेट 240 रुपए प्रति किलो और नमकीन खजला की रेट 160 रुपए प्रति किलो के साथ मीठे खजले की रेट 120 रुपए प्रति किलो रहती है.

2 महीने के सीजन में पूरे सार का खर्च

खजला विक्रेता ने बताया कि वे उत्तर प्रदेश के औरैया का रहने वाला है और करीब 8-10 साल से लगातार भरतपुर में खजले की दुकान लगा रहा है. जसवंत प्रदर्शनी मेले की शुरुआती दिनों में ही खजला की शुरुआत की गई थी. जिसे राजा महाराजाओं के जमाने में भी बनाया जाता था. दुकानदार ने बताया कि 2 महीने खजले का सीजन रहता है. जिसमें वह कारीगरों का वेतन और उसके अलावा अपना खर्चा चला पाते हैं. कई दुकानदारों का कहना है कि 2 महीने के सीजन में वह पूरे साल का खर्चा निकाल लेते हैं.

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